क्या है पार्किंसंस रोग, पार्किंसंस रोग के लक्षण, कारण और बचाव –what-is-parkinsons-parkinsons-disease-symptoms-causes-and-prevention-in-hindi
“सुचना : यह आर्टिकल वा लेख पार्किंसंस रोगी वा मरीज़ के साथ हमने व्यक्तिगत तोर पर पांच महीने उनके साथ रहकर उनके अंदर आए परिवर्तन के आधार और कई डॉक्टर का अनुभव वा उन से बात करके यह आर्टिकल आपके साथ साझा कर रहा हूं ।”
Health tips/AVN News : पार्किंसंस रोग हमारे नर्वस सिस्टम से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें हाथों की हथेलियों में लगातार और तेज कंपन होता है। इस बीमारी की शुरूआत में केवल एक हथेली में कंपन होता है लेकिन फिर धीरे-धीरे यह दूसरी हथेली को भी प्रभावित करने लगती है। पार्किंसन्स रोग होने पर हथेली अक्सर झुकी रहती है और हथेलियों में कंपन होता रहता है। इस बीमारी के शुरूआती स्टेज में पता जल्दी नहीं चल पाता है। इसके अलावा काम करते या टहलते समय भी हाथों की क्रिया में कोई खास परिवर्तन नहीं दिखता है।
जैसे-जैसे समय बीतता है पार्किंसंस रोग के लक्षण और खतरनाक होने लगते हैं। आमतौर पर पार्किंसंस रोग को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ दवाओं के जरिए इस बीमारी के लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इस आर्टिकल के मध्यम से हम आपको पार्किंसंस रोग क्या है, पार्किंसंस रोग के लक्षण, पार्किंसंस रोग होने के कारण, पार्किंसंस रोग के जोखिम कारक और पार्किंसंस रोग के इलाज के बारे में बताएंगे।
पार्किंसंस रोग क्या है What Is Parkinson’s Disease in Hindi
पार्किंसंस रोग एक प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी विकार वा रोग है, इसे मस्तिष्क विकार वा रोग की श्रेणी में भी रखा जा सकता है। यह मस्तिष्क के एक हिस्से में तंत्रिका कोशिकाओं को क्षति पहुंचने के कारण उत्पन्न होता है। मस्तिष्क का यह हिस्सा गति को नियंत्रित करने के लिए डोपामाइन का उत्पादन करता है, जिसे “सबस्टेंटिया नाइग्रा “(substantia nigra) कहा जाता है।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी में सबस्टेंटिया नाइग्रा (substantia nigra) की कोशिकाएं मरने लगती हैं। जब ऐसा होने लगता है, तो डोपामाइन का स्तर वा लेवल कम हो जाता है। डोपामाइन में 60 से 80 % तक की कमी होने पर पार्किंसंस रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। चूँकि डोपामाइन मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करता है, इसलिए पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोग अक्सर हिलते हैं या अन्य असामान्य हरकतें दिखाते हैं।
पार्किंसंस रोग होने के कारण Causes of Parkinson’s disease in Hindi
व्यक्ति में पार्किंसंस रोग होने पर दिमाग की कुछ तंत्रिका कोशिकाएं या न्यूरॉन धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या मृत हो जाते हैं। न्यूरॉन के टूटने पर दिमाग में डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन (norepinephrine) का लेवल घटने लगता है। जिससे मस्तिष्क असामान्य तरीके से काम करने लगता है और हमें पार्किंसंस रोग होने का संकेत मिलता है। पार्किंसंस रोग के उत्पन्न होने के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल इस प्रकार हैं:
पार्किंसंस डिजीज होने का आनुवांशिक (जेनेटिक) कारण genes triggers Parkinson’s disease in Hindi
शोधकर्ताओं ने पार्किंसंस रोग होने के पीछे जेनेटिक म्यूटेशन को जिम्मेदार माना है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके घर का कोई सदस्य पार्किंसंस रोग से पीड़ित है, तो आपको भी यह बीमारी होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मामले में पार्किंसंस रोग के पीछे आनुवांशिक कारण ही हो।
दूषित वा खराब पर्यावरण से पार्किंसंस रोग Environmental triggers Parkinson’s disease in Hindi
दूषित वा खराब पर्यावरण और विषाक्त वा विषैला पदार्थों के संपर्क में आने से भी पार्किंसंस रोग होने की संभावना होती है। हालांकि इससे कम ही लोग प्रभावित होते हैं। शोधकर्ताओं ने ऐसा पाया है कि पार्किंसंस बीमारी वा रोग होने से मरीज के दिमाग में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि ये बदलाव किस कारण से होते हैं।
पार्किंसंस रोग के जोखिम कारक risk for Parkinson’s disease in Hindi
कुछ सामान्य कारण पार्किंसंस रोग वा बीमारी होने के जोखिम को बढ़ाने में सहायक होते हैं, जिनमें शामिल हैं कुछ कारण नीचे दिए हैं:
- पार्किंसंस रोग एक खास आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। जिन लोगों में पार्किंसंस रोग पाया जाता है उनमें ज्यादातर लोगों की उम्र 60 वर्ष या इससे अधिक होती है।
- महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में यह पार्किंसंस रोग होने का खतरा डेढ़ से दो गुना अधिक होती है।
- अगर परिवार में किसी व्यक्ति को पार्किंसंस रोग हो तो अन्य सदस्यों को भी यह बीमारी वा रोग होने का डर बना रहता है। पहले हाथ सुन्न होने के लक्षण दिखते हैं फिर हाथों में तेज कंपन शुरू हो जाता है।
- सिर में चोट लगने या दूषित वातावरण में मौजूद हानिकारक पदार्थों और कीटनाशकों, जड़ी-बूटियों के संपर्क में आने से भी यह बीमारी वा रोग हो जाती है।
पार्किंसंस रोग के लक्षण Parkinson’s disease symptoms in Hindi
पार्किंसंस रोग वा बीमारी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग तरह के होते हैं। इसके शुरूआती लक्षण इतने मामूली होते हैं कि जल्दी इस बीमारी वा रोग पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इस बीमारी वा रोग से पीड़ित व्यक्ति को शुरू में सिर्फ एक हाथ में कंपन होता है, लेकिन बाद में दूसरे हाथ में भी वैसा ही कंपन होने लगता है।
यह बीमारी वा रोग आमतौर पर हाथ या उंगलियों में कंपन से शुरू होती है। आप अपने हाथ के अंगूठे को तर्जनी उंगली पर रगड़कर इसे महसूस कर सकते हैं। पार्किंसंस रोग वा बीमारी का एक संकेत यह भी है, कि आपके हाथों में हमेशा बेचैनी सी महसूस होगी।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी होने पर हाथों की गति कम हो जाती है और हाथ कम हिलते-डुलते हैं। इस रोग वा बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को हाथ से खाना खाने में भी परेशानी होती है। इसके अलावा टहलते समय कदमों की गति धीमी हो जाती है और पीड़ित व्यक्ति को कुर्सी से उठने में दिक्कत होती है।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी होने पर आपको उठने-बैठने में अधिक तकलीफ होती है और आपकी बैठने की मुद्रा भी बदल जाती है। इसके अलावा बार-बार पलकें झपकना, मुस्कुराना और चलते समय हाथों को झटकने जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।
पार्किंसंस बीमारी वा रोग से पीड़ित व्यक्ति को बोलने में भी परेशानी होती है। मरीज जल्दी-जल्दी बोलता है या बोलने से पहले संकोच करता है। व्यक्ति की आवाज भी कर्कश हो सकती है, जो सुनने में असामान्य सी लगेगी। आपको लिखने में भी दिक्कत होगी और आपको अपना लिखा छोटा दिखेगा।
पार्किंसंस रोग से होने वाली परेशानी Parkinson’s disease Complications
जो व्यक्ति पार्किंसंस बीमारी वा रोग से पीड़ित होते हैं उनको इस बीमारी के चलते कई दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें शामिल हैं जो इस प्रकार हैं:
पार्किंसंस रोग वा बीमारी से होती है सोचने – समझने में परेशानी – Parkinson’s disease Thinking difficulties
पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) अधिक बढ़ जाता है, तो इससे पीड़ित व्यक्ति को सोचने समझने और याद रखने में परेशानी होती है। यह लक्षण काफी देरी से दिखता है। इस तरह की समस्या को ठीक करने में दबाई भी ज्यादा कारगर नहीं होती है।
पार्किंसंस बीमारी से हो सकता है डिप्रेशन – Parkinson’s disease can cause depression
जो व्यक्ति पार्किंसंस रोग वा बीमारी से पीड़ित होते है, उनके डिप्रेशन में जाने का ख़तरा अधिक होता है। इस स्थिति में डिप्रेशन का इलाज कराने से पार्किंसंस की बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में कुछ भावनात्मक बदलाव भी होते हैं जैसे अचानक से डर, चिंता और आत्मविश्वास में कमी महसूस होना। डॉक्टर ऐसे मरीज को कुछ दवाई देकर पार्किंसंस रोग के लक्षणों को कम करते हैं।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी में होती है भोजन निगलने में परेशानी – Parkinson’s disease Swallowing problems
पार्किंसंस रोग वा बीमारी से पीड़ित मरीज को भोजन निगलने में भी परेशानी होती है। भोजन निगलने में परेशानी होने की वजह से लार मुंह में जमा हो जाता है और मुंह से बाहर टपकने लगता है।
नींद की समस्या है पार्किंसंस रोग की जटिलता वा कठिनाई Parkinson’s disease complication Sleep problems in Hindi
पार्किंसंस की बीमारी वा रोग से पीड़ीत व्यक्ति को नींद की समस्या हो जाती है। रात में बार-बार मरीज की नींद खुल जाती है। वह सुबह जल्दी उठ जाता है और पूरे दिन उसे नींद नहीं आती है। इसके अलावा इस रोग वा बीमारी से पीड़ित व्यक्ति नींद में बार-बार अपनी पलकें सिकोड़ता और फैलाता है, जैसे वह कोई सपना देख रहा हो। दवाई के जरिए इस समस्या को ठीक किया जा सकता है।
पार्किंसंस बीमारी में पेशाब करने में परेशानी
Parkinson’s disease Bladder problems
पार्किंसंस रोग वा बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को थोड़ी देर के लिए भी पेशाब रोककर रखने में परेशानी होती है। इसके अलावा उसे पेशाब करने में भी दिक्कत होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे उसे कब्ज की भी समस्या हो सकती है।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी की जाँच Parkinson’s disease Diagnosis
पार्किंसंस रोग के निदान वा उपचार के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं है। इसका निदान वा उपचार मरीज के स्वास्थ्य इतिहास की जानकारी, एक शारीरिक और तंत्रिका संबंधी परीक्षण और लक्षणों की समीक्षा के आधार पर किया जाता है।
पार्किंसंस रोग निदान वा उपचार प्रक्रिया में कैट स्कैन (CAT scan), एमआरआई (MRI) और डोपामाइन ट्रांसपोर्टर (DAT) स्कैन का भी उपयोग किया जा सकता है। हालांकि ये परीक्षण पार्किंसंस रोग की पुष्टि नहीं करते हैं, लेकिन अन्य स्थितियों जानकारी देने में सहायक होते हैं, जिसके आधार पर डॉक्टर को पार्किंसंस रोग का निदान वा उपचार करने में सहायता मिलती है।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी के लिए उपचार Parkinson’s Treatment in Hindi
हालांकि पार्किंसंस रोग वा बीमारी का कोई उचित इलाज वा उपचार नहीं है लेकिन कुछ दवाई की मदद से एवं जीवन शैली में परिवर्तन कर इसके लक्षणों को नियंत्रित वा कंट्रोल किया जा सकता है। पर्याप्त आराम, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार पार्किंसंस रोग को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाई इस प्रकार हैं:
- लीवोडोपा (Levodopa) और कार्बिडोपा (Carbidopa)
- डोपामाइन एगोनिस्ट (Dopamine agonists)
- एन्टीकोलिनेर्जिक्स (Anticholinergics)
पार्किंसंस सर्जरी Parkinson’s surgery in Hindi
पार्किंसंस रोग वा बीमारी में सर्जरी की सिफारिश उन लोगों के लिए की जाती है, जो दवाई और जीवन शैली में परिवर्तन जैसे तरीके आजमाने के बाद भी इस बीमारी के इलाज में कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए दो प्रकार की सर्जरी का उपयोग किया जाता है:
गहरी मस्तिष्क उत्तेजना (Deep brain stimulation) – डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) के दौरान, सर्जन मस्तिष्क के विशिष्ट भागों में इलेक्ट्रोड इम्प्लांट करते हैं। इलेक्ट्रोड से जुड़ा एक जनरेटर लक्षणों को कम करने में मदद करने के लिए पल्स को भेजता है।
पंप डिलीवरड थेरेपी (Pump delivered therapy) :– फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने जनवरी 2015 में डुओपा (Duopa) नामक एक पंप डिलीवरड थेरेपी को मंजूरी दी। इस प्रक्रिया में पंप द्वारा मरीज को लेवोडोपा और कार्बिडोपा का संयोजन प्रदान किया जाता है। डॉक्टर पंप को मरीज की छोटी आंत से कनेक्ट करने के लिए एक शल्य चिकित्सा द्वारा पेट में एक छोटा सा छेद करता है।
पार्किंसंस रोग वा बीमारी से बचाव – Prevention of Parkinson’s disease in Hindi
अभी तक पार्किंसंस रोग होने की सही वजह वा करन पता नहीं चल पायी है। पार्किंसंस बीमारी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है। लेकिन रिसर्च में पाया गया है कि कॉफी में मौजूद कैफीन और चाय पार्किंसन्स की बीमारी के खतरे को बढ़ने से रोकते हैं। इसके अलावा ग्रीन टी भी पार्किंसंस की बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। कुछ रिसर्च यह भी दावा करते हैं कि एरोबिक एक्सरसाइज से पार्किंसंस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
कुछ मामलों में डॉक्टर दिमाग के कुछ हिस्सों को रेगुलेट करने और इस बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए सर्जरी की भी सलाह दी जाती हैं।
पार्किंसंस बीमारी में क्या खाना चाहिए – Parkinson’s disease Diet in Hindi
पार्किंसंस रोग वा बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए, आहार और दैनिक गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि आहार के माध्यम से पार्किंसंस को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित वा कंट्रोल रखने और इसपर कम करने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। एक स्वस्थ आहार के माध्यम से पार्किंसंस रोगियों के मस्तिष्क में डोपामाइन के स्तर बढ़ाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। पार्किंसंस की बीमारी में निम्न खाद्य पदार्थों वा आहार का सेवन फायदेमंद होता है, जैसे:
पार्किंसंस बीमारी में खाना चाहिए एंटीऑक्सीडेंट आहार वा भोजन– Antioxidants diet plan for parkinson’s disease in Hindi
एंटीऑक्सीडेंट गुणों में उच्च खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन ऑक्सीडेटिव तनाव और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचने से रोकने में मदद वा सहायता कर सकते हैं। एंटीऑक्सिडेंट युक्त खाद्य पदार्थों में नट्स, बेरी और नाइटशेड सब्जियां शामिल हैं। पौष्टिक नाइटशेड फल और सब्जियों में शामिल हैं: जैसे की..
- टमाटर
- काली मिर्च
- गोजी बेरीज
- आलू
- शिमला मिर्च
- बैंगन
- ब्लूबेरी ।
पार्किंसंस बीमारी वा रोग का घरेलू इलाज फावा बीन्स – Parkinson’s Disease Home Remedies Fava Beans in Hindi
इन लाइम ग्रीन बीन्स या फावा बीन्स में लेवोडोपा होता है, जो कुछ पार्किंसंस दवाई में इस्तेमाल किया जाने वाला एक ही घटक है। अतः जो व्यक्ति पार्किंसंस रोग से पीड़ीत है, उनको अपने आहार वा खाने में फावा बीन्स को शामिल करने पर अधिक प्रयोग करना चाहिए।
पार्किंसंस बीमारी में आहार वा भोजन ओमेगा 3 युक्त खाद्य पदार्थ – Parkinson’s Diet Omega 3 Rich Foods in Hindi
सैल्मन, ओएस्टर, अलसी और कुछ बीन्स जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार वा भोजन हृदय और मस्तिष्क स्वस्थ को बढ़ावा देने में लाभकारी वा गणकारी होते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड पार्किंसंस रोग के मरीजों में मस्तिष्क को पहुंचने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है।
इन लाभकारी खाद्य पदार्थों वा भोजन को अधिक खाने के अलावा, पार्किंसंस मरीजों को डेयरी और संतृप्त वसा के सेवन से परहेज करने की सलाह भी दी जाती है।
Note :-
सुझाव/ अस्वीकरण:- यह ब्लॉग/आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है।अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|
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By: KP
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