हर 7 में से एक व्यक्ति है डिप्रेशन का शिकार, जो कर लेते आत्महत्या, दिल्ली एम्स के डॉक्टर ने बताए इसके लक्षण और बचाव का सही तरीका..
महत्वपूर्ण संदेश:
“मैं मजबूत हूं, मुझे कुछ नहीं होगा” – यह सोच खतरनाक हो सकती है। डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है। यह कोई कमजोरी नहीं, एक इलाज योग्य मानसिक स्थिति है।
Avn News Health Tips, Delhi । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नई रिपोर्ट के अनुसार आज दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों से जूझ रहे है। डिप्रेशन कैसे किसी को आत्महत्या की ओर धकेल सकती है, क्या है इसके लक्षण?, मानसिक सेहत बिगड़ने से कैसे बचाएं और किन बातों का रखें ध्यान? आइए इनके जवाब जानें डॉ. कुमार (प्रोफेसर मनोचिकित्सा विभाग एम्स दिल्ली) से।
डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन सिर्फ मन की कमजोरी या उदासी नहीं, बल्कि एक मानसिक स्थिति है। सामान्य मूड स्विंग्स से अलग होता है। अगर 2 हफ्तों से अधिक समय तक ये लक्षण रहें तो यह क्लिनिकल डिप्रेशन हो सकता है।
डिप्रेशन क्यों होता है?
- सामाजिक दबाव, रिश्तों में तनाव !
- करियर की चिंता, पढ़ाई का बोझ !
- अकेलापन, सपोर्ट सिस्टम की कमी !
- बचपन की ट्रॉमा या हाल की कोई ट्रिगर करने वाली घटना !
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कैसे करें डिप्रेशन की पहचान?
क्या पहले की तुलना में कामकाज के प्रति संघ कम होती जा रही है, नींद बाधित रहती है, खालीपन या असहाय महसूस करते हैं? यदि हां, तो इन लक्षणों की अनदेखी न करें। हालांकि यह जानना जरूरी है कि ऐसा महसूस करने वाले आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं। हर 7 व्यक्ति मे से एक व्यक्ति के साथ ऐसा ही रहा है!
यह मनोदशा आज ज्यादातर लोगों की है और इसके कुछ ठोस कारण होते हैं। इन कारणों का उचित निदान किया जाए तो समय रहते डिप्रेशन (अवसाद) के गंभीर लक्षणों को उभरने से रोका जा सकता है।
डिप्रेशन सामान्य मनोदशा में होने वाले उतार-चढ़ाव से अलग होता है। ये लक्षण सामान्यतः दो हफ्ते से अधिक समय तक रहते हैं और यदि उचित उपचार न किया जाए तो यह स्वयं को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या की कगार पर पहुंचाने का जोखिम पैदा कर सकते हैं।

डिप्रेशन एक जटिलता है, बीमारी नहीं
यदि आप बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं तो यह जानना जरूरी है कि जिन्हें डिप्रेशन नहीं होता, वे भी खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के कदम उठा सकते हैं। मैं मजबूत हूं या वो मजबूत है या वो व्यक्ति कभी ऐसा नहीं कर सकता, यह न सोचें। दरअसल, किसी एक कारण से आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने का सीधा संबंध नहीं होता। इसके कई कारण हो सकते हैं। सामाजिक, आर्थिक या सेहत से जुड़ी परेशानी के साथ – साथ रिश्तों में हो रही समस्याओं के कारण भी लोग ऐसा कदम उठा सकते हैं।
डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण जानें
- एकाग्रता में कमी !
- आत्मग्लानि (पछतावा) होना !
- आवेश या आवेगपूर्ण (जल्दबाजी) व्यवहार !
- आत्मसम्मान की कमी !
- भविष्य के प्रति निराशा !
- स्वयं को हानि पहुंचाने या आत्महत्या के विचार !
- नींद की कमी !
- थकान व ऊर्जा में कमी महसूस करना आदि !
डिप्रेशन के संकेतों को जानना जरूरी
आत्महत्या के विचार आना किसी न किसी परिस्थिति वश हो सकता है। आपको उस परिस्थिति में स्वयं को संभालना होता है। अधिकांश यह तब घटता है, जब व्यक्ति स्वयं को बेबस और मूल्यहीन महसूस करने लगता है। जब व्यक्ति कोई राह नहीं नजर आती और सपोर्ट सिस्टम की कमी रहती है तो वह ऐसे कदम उठा लेता है। कुछ संकेत हैं, जिन्हें उचित सूझबूझ से पहचान कर आत्महत्या को रोका जा सकता है।
आत्महत्या के संकेत
- अकेले रहना पसंद करना !
- बार-बार “मेरी जिंदगी बेकार है” जैसी बातें करना !
- सोशल मीडिया पर निराशाजनक पोस्ट डालना !
- अचानक व्यवहार में बदलाव आना !
- कीमती चीजें बांटना या अलविदा जैसा व्यवहार !
ऐसे संकेत दिखें तो तुरंत बात करें और ज़रूरत हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
बचें दिमागी थकान से
पिछले कुछ सालों में भावनात्मक सपोर्ट सिस्टम तेजी से कम हो रहा है। समय नहीं है, समय बर्बाद नहीं करना, अपने काम से काम रखना, इस तरह की सोच बढ़ी है। करियर में अच्छा करने की होड़ और ज्यादा बेहतर करने की महत्वाकांक्षा एक बड़ा कारण है, जिसे समय रहते समझने की जरूरत है। वास्तव में अधिक पाने की चाह दिमाग को बुरी तरह थका देती है। थका हुआ दिमाग जल्द ही ऊब का शिकार हो जाता है। जीवन नीरस लगने लगता है और इस क्रम में डिप्रेशन चुपके से दबोच सकता है।
दिनचर्या में रखें ध्यान
- थकान महसूस हो, कसरत न कर सकें तो कम से कम लंबी सांस लेने का अभ्यास करें।
- कामकाज में मन ना लगे तो कुछ नया सीखने की पहल करें।
- दिमाग को उलझाए रखें। लोगों से बात करें। अनजान लोगों से जुड़ने का प्रयास करें।
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जब नकारात्मकता व डिप्रेशन हावी होने लगे
- वर्तमान वातवारण को बदलें ।
- स्वयं को अलग-थलग न करें।
- बंद कमरे से बाहर निकलें।
- दोस्तों, परिवार से जुड़ें।
- किसी से बात करें, अकेले न रहें।
- नशे के सेवन से बचें। नशा तात्कालिक रूप में अच्छा लगेगा पर बाद में नकारात्मकता और भी हावी हो सकती है।
- नींद से समझौता मुसीबत बढ़ा सकता है।
- कोई नया स्किल सीखें
- अपनी हॉबीज़ पर ध्यान दें
- नेचर के साथ समय बिताएं
युवाओं में बढ़ता जोखिम
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि युवाओं में आत्महत्या की दर में बेहताशा बढ़ोतरी हो रही है। प्रतिभाशाली और पढ़े-लिखे युवा भी आत्महत्या करते हैं तो लोग हैरान होते हैं। पर यह समझने की आवश्यकता है कि पढ़ाई और करियर में अच्छा करना अलग चीज है और जीवन में विपरीत परिस्थतियां आने पर उन पर विजय प्राप्त करना अलग।
यह सही समय है जब बच्चों में समस्याओं का सामना करने या उनका सामना करने की क्षमता को प्रोत्साहन दिया जाए। कठिनाइयों से आगे निकलकर राह बनाना भी एक बड़ी जीत है, यह समझ विकसित करने की जरूरत है।
निष्कर्ष:
डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है, न कि कमजोरी। इसे समय पर पहचाना और सही तरीके से संभाला जाए तो इससे पूरी तरह बाहर निकला जा सकता है।
याद रखें:
“बात करना कमजोरी नहीं, समझदारी है। मदद मांगना हार नहीं, हिम्मत है।”
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Note :-
सुझाव:- यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है. अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें.
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By: KP
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