हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है। इस इंडस्ट्री में हर साल कई फिल्में बनाई जाती हैं। जिनमे से कुछ अच्छा कमाई करती है कुछ नही |
भारतीय सिनेमा का ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर रंगीन फिल्मों तक का सफर बेहद शानदार रहा है। और इन दौरान इन्हे कई कठिनाई का सामना भी करना पड़ा है इस फिल्म इंडस्ट्री ने अलग-अलग दौर में कई सुपरस्टार दिए। जिनमे कई नाम मशहूर और जाने माने रहे है ये ना केवल देश बल्कि विदेशों में भी नाम कमाए है जिनमे राज कपूर, यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार, देवा नंद शाहरुख खान आदि है |
भारत की पहली मूक फिल्म :
भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई, जब भारत की पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनी थी। यह फिल्म जाने-माने लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र के नाटक ‘हरिशचंद्र’ पर आधारित थी। जिसे ददासाहेब फाल्के ने निर्देशित किया था। यह एक म्यूट फिल्म थी, जिसमें किसी भी वाद्ययंत्र का प्रयोग नहीं किया गया था। इस फिल्म की दृश्यकला, कहानी और तकनीक ने भारतीय सिनेमा को नये दिशानिर्देश देने में मदद की और यह मूक फिल्म भारतीय सिनेमा के निर्माण में महत्वपूर्ण पहलू बनी।
इस 40 मिनट की फिल्म को 21 दिनो में तैयार किया गया था, ये फूल लेंथ फीचर फिल्म थी इसका प्रीमियर 3 मई 1913 को मुबई में की गई । फाल्के के कोशिशों से ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की नींव पड़ी। यही वजह है कि फाल्के को भारतीय सिनेमा का पितामाह कहा जाता है।इन्हीं के नाम पर सिनेमा जगत का सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाने लगा।
भारत की पहली बोलती फिल्म :
14 मार्च, 1931 की तारीख को भारतीय सिनेमा को आवाज मिली। इसी दिन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल में ‘आलम आरा’ रिलीज हुई। यह भारत की पहली बोलती फिल्म थी। यानी जिसमें आवाज (ध्वनि) हो। इसके निर्देशन आर्देशिर ईरानी जी थे। हालांकि, इससे पहले फाल्के ने भी फिल्मों में आवाज डालने के प्रयास किए थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी और इसने बोलचाल की दुनिया में भारत की एक नई पहचान बनाई।
पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनाने में मेकर्स को कई परेशानियां झेलनी पड़ी थीं।
ईरानी और उनकी यूनिट इंपीरियल स्टूडियो ने इसके लिए टैनोर सिंगल सिस्टम कैमरा विदेश से मंगवाया था।
इसकी शूटिंग के दौरान बहुत आवाजें आती थीं, जो साथ में रिकॉर्ड हो जाती थीं। ऐसे में दिन में शूटिंग करना मुश्किल भरा काम था।
फिल्म के ज्यादातर कलाकार मूक फिल्मों के दौर के थे। उन्हें घंटों तक सिखाया जाता था कि माइक पर कैसे बोलना है।
कब शुरू हुआ रंगीन फिल्मों का दौर? :
बोलती फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट में प्रदर्शित होती थीं। 1937 में निर्देशक मोती बी गिडवानी ने ‘किसान कन्या’ बनाई, जो भारतीय सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म को अमेरिका की एक कंपनी ने कलर किया था। यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा में रंग को शामिल करने की पहली कोशिशों में से एक महत्वपूर्ण कदम है, हालांकि इसने प्रमुख रूप से साइनकलर की दो-रंगी प्रक्रिया का उपयोग किया था। इसकी पटकथा और संवाद सआदत हसन मंटो ने लिखे थे। यह फिल्म किसानों की जिंदगी से रूबरू कराती है। गिडवानी ने इसे ‘आलम आरा’ के निर्देशक ईरानी के साथ मिलकर बनाया था।
हिंदी सिनेमा का स्वर्ण युग :
1950 से लेकर 1960 के दौर को भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग कहा जा सकता है। इस दौर में जहां मुगल ए आजम, मदर इंडिया, प्यासा, कागज के फूल जैसी फिल्मों का निर्माण हुआ। इस दौरान ही गुरु दत्त, राज कपूर, दिलीप कुमार, मीना कुमारी, मधुबाला और नरगिस जैसे कलाकारों को स्टारडम मिली। दिलीप और मधुबाला की ऐतिसाहिक फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ 1960 में ही रिलीज हुई थी। इसमें दोनों की केमिस्ट्री ने लोगों का दिल जीत लिया था। राज कपूर की ‘आवारा’ 1951 में और नरगिस की ‘मदर इंडिया’ 1957 में आई थी।
बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का दौर :
1970 के दशक में बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का दौर शुरू हुआ। जिसमें व्यापारिक मनोबल और मनोरंजनात्मक तत्व महत्वपूर्ण थे। इस दशक में धरमेंद्र, राजेश खन्ना, शत्रुघन सिन्हा जैसे स्टार्स ने अद्वितीय किरदार निभाए और एक्शन, ड्रामा, रोमांस आदि के रूप में विविध आयाम प्रस्तुत किए। रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘शोले’ (1975) ने अमिताभ बच्चन को अलग मुकाम दिया। 1990 के दशक में शाहरुख खान, सलमान खान, माधुरी दीक्षित, जूही चावला, आमिर खान जैसे कलाकारों ने अपना दबदबा कायम किया। इनमें से ज्यादातर कलाकार मौजूदा दौर में भी सक्रिय हैं।
भारतीय सिनेमा के भाषाओं में अनेक इंडस्ट्रियां :
भारतीय सिनेमा में कई इंडस्ट्रियां काम कर रही हैं, जो विभिन्न भाषाओं, क्षेत्रों और राज्यों में विकसित हुई हैं। यहाँ कुछ प्रमुख भारतीय सिनेमा इंडस्ट्रियां हैं:
1. **बॉलीवुड:** बॉलीवुड भारतीय सिनेमा की सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध इंडस्ट्री है, जो मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थित है।
2. **तॉलीवुड:** तैलुगु भाषा की सिनेमा को तॉलीवुड कहा जाता है और यह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विकसित हो रही है।
3. **कोलीवुड:** तमिल भाषा की सिनेमा को कोलीवुड कहा जाता है और यह तमिलनाडु में आधारित है।
4. **सैनिमा:** मराठी भाषा की सिनेमा को सैनिमा कहा जाता है और यह महाराष्ट्र में प्रमुखता रखती है।
5. **सैंट इंडियन सिनेमा:** मलयालम भाषा की सिनेमा को सैंट इंडियन सिनेमा कहा जाता है और यह केरल में विकसित हो रही है।
6. **सैंट सिनेमा:** कन्नड़ भाषा की सिनेमा को सैंट सिनेमा कहा जाता है और यह कर्नाटक में विकसित हो रही है।
7. **बंगाली सिनेमा:** बंगली भाषा की सिनेमा, जिसे तोलीवुड भी कहा जाता है, पश्चिम बंगाल में प्रमुखता रखती है।
8. **पंजाबी सिनेमा:** पंजाबी भाषा की सिनेमा उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में विकसित हो रही है।
ये कुछ मुख्य भारतीय सिनेमा इंडस्ट्रियां हैं, लेकिन भारत में अन्य भी कई छोटी और बड़ी सिनेमा इंडस्ट्रियां मौजूद हैं जो विभिन्न भाषाओं और क्षेत्रों में काम कर रही हैं।