शरीर में कई तरह के रोग होते हैं और उनका इलाज करने वाले अलग अलग डॉक्टर होते हैं जिन्हें एक्सपर्ट कहते हैं। जब शरीर की हड्डियों में किसी तरह की दिक्कत आती है तो उसका इलाज हड्डियों का डॉक्टर करते हैं। इसी तरह फिजियोथेरेपी करने वाले विशेषज्ञ या एक्सपर्ट को फिजियोथेरेपिस्ट (भौतिक चिकित्सक) कहते हैं। एक फिजिकल थेरेपिस्ट का काम मरीज के शरीर में आई चोट, हड्डियों की कमजोरी, टिश्यू के दर्द, अक्षमता और अन्य समस्याओं को दूर करना होता है। इसके अलावा फ़िज़ियो थेरेपी के द्वारा कंधे, गले और हिप्स के दर्द के साथ कलाई, कंधों, घुटनों या कोहनियों के दर्द से राहत प्राप्त की जा सकती है। इस प्रक्रिया में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में थेरेपी दी जाती है, जिससे शरीर की फिटनेस बढ़ाने में मदद जरूर मिलती है।

विश्व फिजियोथेरेपी दिवस का इतिहास- आपको बता दें कि World Confederation of Physical Therapy एक ऐसा संगठन है, जो दुनिया के सभी फिजियोथेरेपिस्ट का प्रतिनिधित्व करता है। इस संगठन की स्थापना 8 सितंबर 1951 को की गई थी। इसके बाद 8 सितंबर 1996 को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस की घोषणा की गई। तब से विश्व फिजियोथेरेपी दिवस को सभी लोग बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं। फिजियोथेरेपी दिवस मनाने से लोगों के बीच इसकी जानकारी भी काफी बढ़ी है।

कब कर सकते हैं फिजियो थेरेपी का प्रयोग?

बदलते लाइफस्टाइल में अस्थमा रोग भी बढ़ता जा रहा है। अस्थमा न सिर्फ एक खतरनाक बल्कि जानलेवा बीमारी भी है। इस समस्या में फिजियोथेरेपी कारगार साबित हो सकती है। एक्सपर्ट कहते हैं कि अस्थमा में मरीज को अलग-अलग ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराई जाए है, जिससे फेफड़े मजबूत हो जाएं और अस्थमा से निजात मिल पाने में आसानी हो।

कमर दर्द में भी फिजियो थेरेपी कमाल का फायदा करती है। इन दिनों वर्क फ्राम होम के चलते गलत पोश्चर में बैठने से लोगों को कंधे, गर्दन और बैक पेन की समस्या हो रही है। लो बैक पेन की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। दरअसल, शरीर का सर्वाइक और लंबर प्वांइट सबसे ज्यादा मूव होता है, जिससे कमर दर्द की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में अगर फिजियो थेरेपी कराई जाए तो इस दर्द से आप छुटकारा पा सकते हैं। कमर दर्द में भी फिजियोथेरेपिस्ट अलग-अलग एक्सरसाइज के माध्यम से दर्द को ठीक करते हैं।

प्रेग्नेंसी में भी फिजियो थेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है। जब एक महिला इस थेरेपी को लेती है तो उसे लग-अलग एक्सरसाइज कराई जाती है, जिससे नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है। डिलीवरी से पहले और बाद में भी महिलाओं को फिजियोथेरेपी दी जाती है।

 

फ्रैक्चर होने की स्थिति में भी फिजियो थेरेपी कराई जा सकती है। फ्रैक्चर में सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को फिजियोथेरेपी से कम किया जा सकता है। इसमें एक्सपर्ट एक्सरसाइज की मदद से फ्रैक्चर के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बना देते हैं। इसमें ज्वाइंट का मोबलाइजेशन किया जाता है, जिससे दर्द दूर हो जाता है।

फिजियोथेरेपी की शुरुआत से पहले आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान देना चाहिए:

1. डॉक्टर की सलाह: पहले डॉक्टर से परामर्श लें, जिन्होंने आपकी स्थिति का निर्धारण किया है।

2. जरूरी जांच: फिजियोथेरेपिस्ट से आवश्यक जांच करवाएं ताकि आपकी स्थिति को समझा जा सके।

3. मरीज की रिपोर्ट्स: पूर्व मेडिकल रिपोर्ट्स के साथ जाएं ताकि परिशानी ना हो सके।

4. लक्ष्य स्पष्ट करें: यह तय करें कि आप फिजियोथेरेपी से क्या उम्मीद करते हैं और क्या लक्ष्य पूरे करना चाहते हैं।

अंत में निष्कर्ष में फिजियोथेरेपी फिजियोथेरेपी करवाने से मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। इससे तनाव और चिंता दूर होती है। साथ ही, व्यक्ति स्वस्थ और अच्छा महसूस करता है।

 

 

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