चुनाव चिन्ह

Political party : देश में इन दिनों हर तरफ चुनावी चर्चा चल रही है। चुनाव में जो चीजें सबसे ज्यादा अहम होती हैं, उनमें से एक है राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह। इनका पार्टी की राजनीतिक छवि पर गहरा असर पड़ता है। आजाद भारत में सबसे पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। इसके बाद अब तक कुल 16 लोकसभा चुनाव भारत में कराए जा चुके हैं। इस दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्हों में भी काफी बदलाव आए। इस आर्टिकल के जरिए हम जानेंगे की देश के पहले लोकसभा चुनावों में क्या थे अभी के पार्टियों के चुनाव चिन्ह?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

चुनाव चिन्ह

1952 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी थी। अभी ‘पंजा छाप’ से पहचानी जाने वाली कांग्रेस पहले चुनाव में ‘दो बैलों का जोड़ा‘ चुनाव चिन्ह पर लड़ती थी। स्वतंत्र भारत में इसी चिन्ह से जीत कर कांग्रेस ने पहली बार बहुमत की सरकार बनाई थी और पण्डित जवाहर लाल नेहरू लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुने गए देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे।

भारतीय जनसंघ पार्टी 

चुनाव चिन्ह

भारतीय जनसंघ पार्टी जिसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में की थी। इस पार्टी का चुनाव चिन्ह एक ‘जलता हुआ दीपक‘ था। इसे 1952 के आम चुनाव में केवल 3 सीटें मिलीं। 1977 में जनसंघ समेत भारत के तमाम राजनीतिक दलों का विलय कर के जनता पार्टी का गठन किया गया।1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद जनसंघ की विचारधारा के नेताओं नें भारतीय जनता पार्टी का गठन किया जो आज ‘कमल’ से पहचानी जाती है। 2014 के लोकसभा चुनावों में इसी भाजपा ने बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाई।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

चुनाव चिन्ह

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) भारत का सबसे पुराना साम्यवादी दल है। इसकी स्थापना 26 दिसम्बर 1925 को कानपुर में हुई थी। 1952 में यह देश का दूसरा सबसे बड़ा दल बन कर उभरा था। भाकपा का पुराना चुनाव चिन्ह ‘मक्का और हंसिया’ था जो बाद में ‘हथौड़ा और हंसिया‘ हो गया।

भारतीय राजनीतिक चुनाव चिन्ह

फॉरवर्ड ब्लाक

ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना 1939 में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने की थी। 1948 में ये दो हिस्सों में बंट गया था। रामचंद्र सखाराम के नेतृत्व में बना फॉरवर्ड ब्लॉक कहलाया। 1952 में इस दल ने ‘पंजा छाप’ पर चुनाव लड़ा था, जो अब कांग्रेस का चुनाव चिन्ह है।

सोशलिस्ट पार्टी

सोशलिस्ट पार्टी ने देश के पहले लोकसभा चुनावों में 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस समय सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘पेड़‘ हुआ करता था। बाद में किसान मजदूर प्रजा पार्टी के साथ इसका विलय हो गया।

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