Rice On Ekadashi : सनातन धर्म में एकादशी तिथि का अत्यधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। व्रत रखने से साधक को पुण्य मिलता है और सभी दुखों का नाश होता है। एकादशी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर द्वादशी तक चलता है।
एकादशी में चावल का सेवन
चावल का सेवन क्यों वर्जित है?
एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित माना गया है। इसके पीछे एक धार्मिक मान्यता है कि जो लोग चावल खाते हैं, उन्हें पुण्य की प्राप्ति नहीं होती। चावल को ‘हविष्य अन्न’ (देवताओं का भोजन) कहा जाता है, इस कारण इस दिन चावल का सेवन देवताओं के सम्मान में मना किया जाता है।
चावल खाने से क्या होता है?
मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से इंसान अगली योनि में रेंगने वाले जीव के रूप में जन्म लेता है। विष्णु पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होती।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
चावल में पानी की मात्रा अधिक होती है और पानी पर चंद्रमा का प्रभाव होता है। एकादशी के दिन चावल खाने से मन चंचल हो सकता है, जो पूजा-अर्चना के दौरान ध्यान भंग कर सकता है। यही कारण है कि चावल का सेवन इस दिन न करने की सलाह दी जाती है।
निष्कर्ष
चावल न खाने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण हैं। इसका उद्देश्य केवल हमारे ध्यान को पूजा में केंद्रित रखना और भगवान के प्रति श्रद्धाको बढ़ाना है।