नवरात्रि 2024: आज (3 अक्टूबर) से नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। इस बार पंचमहायोग में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 10:50 बजे से है, जो देवी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी, जिससे अष्टमी और महानवमी की पूजा 11 अक्टूबर को होगी और दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
नवरात्रि 2024
नवरात्रि का पहला दिन: शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा का महत्व है। उन्हें स्थिरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पीले कपड़े पहनकर उनकी पूजा करना शुभ है। घट स्थापना का मुहूर्त 10:50 बजे से दिनभर रहेगा, जिससे देवी की कृपा प्राप्त हो सके।
नवरात्रि के व्रत का वैज्ञानिक महत्व
नवरात्रि में उपवास रखने की परंपरा का वैज्ञानिक आधार भी है। यह समय मौसम के बदलने का होता है, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है। उपवास से शरीर की डाइजेशन प्रक्रिया सुधरती है और शरीर हल्का महसूस करता है। यह सर्दियों की तैयारी में भी मदद करता है।
खगोलीय घटना: दिन-रात का समान समय
नवरात्रि का समय खगोलीय घटना ‘इक्विनॉक्स’ से जुड़ा होता है, जब दिन और रात की लंबाई समान होती है। इस समय सूर्य और चंद्रमा की रोशनी धरती तक समान रूप से पहुंचती है, जिससे नई ऊर्जा का संचार होता है।
विशेष देवी मंदिर
– कृष्ण कालीपीठ, वृंदावन: यहां काली की पूजा कृष्ण के रूप में होती है।
– द्रौपदी अम्मन, तमिलनाडु: यहां महाकाली का रूप पूजा जाता है।
– कनक दुर्गा मंदिर, विजयवाड़ा: महिषासुर के वध के बाद स्थापित।
– अन्नपूर्णा मंदिर, बनारस: नवरात्रि में विशेष पूजा का केंद्र।
उपवास का महत्व
उपवास का उद्देश्य आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि दोनों है। हल्का आहार लेने से शरीर को मौसम के बदलाव से लड़ने में मदद मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
इस नवरात्रि में देवी की कृपा पाने के लिए पूजा विधि और उपवास का पालन करें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।