Lessons of Ram’s Life : राम नवमी का पर्व हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, जिन्होंने धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अवतार लिया था। इस दिन को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। इस साल, राम नवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी, और इस दिन चैत्र नवरात्रि का समापन भी होगा।
भगवान श्रीराम का जीवन
भगवान श्रीराम का जीवन हमें सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन हमेशा मर्यादा और संयम से करना चाहिए। उनके जीवन में वचनबद्धता और कर्तव्यनिष्ठा के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिनसे हम जीवन में सही दिशा प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं भगवान राम के जीवन से कुछ महत्वपूर्ण बातें:
संयम और धैर्य
श्रीराम ने जीवन के कठिन समय में भी संयम और धैर्य बनाए रखा। उन्होंने कभी भी क्रोध में आकर निर्णय नहीं लिया, बल्कि हर मुश्किल का शांतिपूर्वक और समझदारी से सामना किया।
वचन के प्रति प्रतिबद्धता
श्रीराम अपने वचनों के प्रति बेहद निष्ठावान थे। उन्होंने हमेशा अपने वादों को निभाया, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।
सात्विक जीवन
वनवास के दौरान, श्रीराम, लक्ष्मण और सीता माता ने अत्यधिक साधारण जीवन जिया। उन्होंने कंद-मूल और फल खाकर जीवन यापन किया और कभी मांसाहार या तामसिक भोजन नहीं किया। शबरी के द्वारा दिए गए बेर भी उन्होंने आदरपूर्वक स्वीकार किए।
तपस्वी जीवन
राजसी ठाट-बात छोड़कर, श्रीराम ने वनवास के समय तपस्वियों की तरह साधारण जीवन बिताया। उन्होंने संतुष्ट होकर सादगी से जीवन को जिया।
योजनाबद्ध कार्य
श्रीराम हर काम सोच-समझकर और पूरी योजना के तहत करते थे। सीता माता को वापस लाने के लिए उन्होंने रामसेतु का निर्माण कराया, जो उनकी रणनीति और दूरदर्शिता का प्रतीक है।
सहयोग और सेवा की भावना
श्रीराम ने वनवास के दौरान कई समुदायों और जनजातियों के जीवन में सुधार लाने की कोशिश की। शबरी, केवट और अहिल्या जैसे प्रसंग उनके सेवा भाव और करुणा को दर्शाते हैं।
इन पहलुओं से हमें जीवन में संतुलन, कर्तव्य, और दूसरों के प्रति प्रेम और सेवा की प्रेरणा मिलती है।