क्या है होलिका दहन?

क्या है होलिका दहन? ! कब होता होलिका दहन? !

What is Holika Dahan?

होलिका दहन : होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पर्व है, जिसे होली से पहले मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और विशेष रूप से फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होलिका दहन की परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व रखती है।

होलिका दहन का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व:-

होलिका दहन की कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था, जो चाहता था कि सभी लोग उसकी पूजा करें, लेकिन उसका बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार वह असफल रहा।

एक दिन उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका के पास एक वरदान था, जिसके अनुसार वह अग्नि में नहीं जल सकती थी। होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोदी में लेकर आग में बैठने की योजना बनाई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गए, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। इस घटना ने बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया और तब से होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।

क्या है होलिका दहन?

होलिका दहन का सांस्कृतिक महत्व:-

होलिका दहन के दिन लोग लकड़ी, उपले और सूखी घास एकत्रित कर बड़े अलाव का निर्माण करते हैं और उसे जलाते हैं। इस दौरान लोग आनंदित होते हैं, साथ ही बुराई को जलाने का प्रतीकात्मक कार्य भी करते हैं। यह पर्व एक सकारात्मक संदेश देता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो, अंत में अच्छाई की जीत होती है।

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होलिका दहन और होली का संबंध:-

होलिका दहन के बाद दूसरे दिन होली खेली जाती है, जो रंगों और उल्लास का पर्व होता है। यह पर्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह लोगों को एकता, भाईचारे और प्रेम की भावना का भी संदेश देता है। इस दिन हम अपनी पुरानी नकारात्मकताओं, ग़लतफहमियों और बैर भावों को जलाकर नए उत्साह और सकारात्मकता के साथ नए जीवन की शुरुआत करते हैं।

कब होता होलिका दहन?:-

होलिका दहन के लिए प्रदोष काल का समय चुना जाता है, जिसमें भद्रा का साया नहीं हो. ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन करने से पहले होलिका की पूजा करने से आपके मन से सभी प्रकार के भय दूर होते हैं और ग्रहों के अशुभ प्रभाव में भी राहत मिलती है। होलिका की पूजा में ही यह कथा भी पढ़े जाने का चलन काफी समय से चला आ रहा है।

होलिका दहन पर नरसिंह मंत्र:-

नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद दायिने

हिरण्यकशिपोर्वक्षः शिला-टङ्क-नखालये

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो

यतो यतो यामि ततो नृसिंहः

बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो

नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये 

निष्कर्ष:

होलिका दहन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में अच्छाई और सकारात्मकता की ओर बढ़ने की प्रेरणा भी है। इस दिन हम अपने दिल और दिमाग की सारी नफरत, द्वेष और बुराई को जलाकर एक नए अध्याय की शुरुआत करते हैं।

आइए, इस होलिका दहन पर हम भी संकल्प लें कि हम अपने जीवन से बुराई और नकारात्मकता को दूर करेंगे और अच्छाई की ओर अग्रसर होंगे।

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By: KP
Edited  by: KP

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