अयोध्या रामलला मूर्ति : 22 जनवरी यानी सोमवार, अयोध्या को देवभूमि बना दिया, जब नवनिर्मित राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। कृष्णशिला से बनी रामलला की मूर्ति जो ब्लैक स्टोन से बनी है अब हर भक्त को पांच वर्ष के बालक के रूप में दर्शन करने का अनुभव हो रहा है। आइए आज आपको बताते हैं इस मूर्ति से जुड़ी खास बातें।
एक ही पत्थर से रचा रामलला का स्वरूप
रामलला की इस अदभुद मूर्ति का श्रेय कर्नाटक के कलाविद अरुण योगीराज को जाता है। इसे विशेष बनाता है कि यह मूर्ति एक ही पत्थर से बनाई गई है, जिसमें कोई और पत्थर जोड़ा नहीं गया है।
भार, ऊँचाई और आकर्षक स्वरूप
इस मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है, जबकि इसकी ऊँचाई 4.24 फीट और चौड़ाई तीन फीट है। मूर्ति ने भगवान श्रीराम के 5 साल के बाल रूप को अत्यंत सुंदरता के साथ दर्शाया गया है।
विष्णु के 10 अवतारों का अदभुद संगम
रामलला की इस मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार समाहित हैं – मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि। यह संगम भगवान की अत्यंत प्राचीन और अद्वितीय रूपरेखा को दिखाता है।
हनुमानजी और गरुड़ जी की साकार प्रस्तुति
रामलला की मूर्ति के चारों ओर बनी पट्टिका में, एक तरफ नीचे हनुमानजी और दूसरी ओर गरुड़ जी को स्थान देने से मूर्ति शोभा बढ़ाती है। इन दोनों रूपों के साथ, मूर्ति की प्रतिभा में चार चांद लगाए गए हैं।
मूर्ति के मुकुट में सूर्य भगवान और अन्य अद्भुत चिन्ह
रामलला की इस मूर्ति में, मुकुट की साइड पर हमें सूर्य भगवान की प्रतिमा, शंख, स्वस्तिक, चक्र, और गदा दिखाई देते हैं। मुकुट के पीछे सूर्य भगवान का स्थान लेना, प्रभु राम के कुल देवता को श्रेष्ठता का अर्थ देता है। ये आकर्षक चिन्ह उस दिव्य शक्ति को दर्शाते हैं जो मूर्ति में समाहित है।
धनुष-बाण मुद्रा
रामलला की इस मूर्ति में, भगवान श्रीराम के बाएं हाथ को धनुष-बाण पकड़ने की मुद्रा में दिखाई गई है। यह मुद्रा उनके वीरता और साहस का निर्माण करती है, जो उन्होंने राक्षसराज रावण का सम्हार करने के लिए किया था। हर भक्त इस मुद्रा के माध्यम से भगवान के वीर रूप को स्मरण करता है और उनके बल पर आशीर्वाद प्राप्त करता है।
श्यामल रंग की मूर्ति
रामलला की इस मूर्ति, जो काले पत्थर से बनी है, में भगवान श्रीराम की बेहद मनमोहक छवि है, जो सभी को आकर्षित कर रही है। श्यामल रंग की शिला से निर्मित होने के कारण इसमें एक अद्वितीय और प्राचीन आभा है। श्याम रंग का पत्थर जल को रोकता है और इसे सदियों तक उसी रूप में रखता है।
मूर्ति में पांच साल के बच्चे की कोमलता की झलक है, जो देवी सीता और भगवान श्रीराम के पुत्र हैं। इससे इस मूर्ति में परिपूर्ण परिवार की भावना स्पष्ट होती है। चंदन, रोली, आदि लगाने से इस मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी, जिससे भक्त इसे प्राकृतिक और शुद्ध मान सकते हैं।