AVN News Desk New Delhi: बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद (Life Prison) की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. सभी दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसी केस पर आज फैसला आना है.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच इस पर फैसला सुनाएगी. बेंच ने पिछले साल 12 अक्टूबर को मामले में फैसला को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले पर अदालत में लगातार 11 दिन तक सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से जुड़े ओरिजिनल रिकॉर्ड भी पेश किए थे.

बिलकिस बानो

गुजरात सरकार ने सभी दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को सही ठहराया था. समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो सजा माफी के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि सभी दोषी कैसे माफी के योग्य बने.

सुनवाई के दौरान एक दोषी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी थी कि सजा माफी से दोषी को समाज में फिर से जीने की उम्मीद की एक नई किरण दिखी है, और उसे अपने किए पर पूरा पछतावा है.

इस मामले में जिन सभी दोषियों को रिहाई मिली है, उनमें जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, प्रदीप मोरधिया,मितेश भट्ट और रमेश चंदाना शामिल हैं.

इन सभी दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई सारी याचिकाएं दायर हुई थीं. चुनौती देने वालों में बिलकिस बानो के अलावा कई लोग सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा और पत्रकार रेवती लॉलभी शामिल हैं.

बिलकिस बानो का क्या है पूरा मामला?

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से सभी कारसेवक लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत भी हो गई थी.

इसके बाद ही दंगे भड़क गए थे. भड़के दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं.

बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से एकदम से हमला कर दिया था. उस भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया था. उस समय बिलकिस बानो 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के सभी 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी के 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.

साल 2008 में मिली उम्रकैद की सजा

इस घटना पर नाराजगी जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे. इस मामले के सभी आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार कर लिया गया.

इस मामले का ट्रायल अहमदाबाद कोर्ट में शुरू हुआ था. बाद में बिलकिस बानो ने चिंता जताई थी कि यहां मामला चलने से गवाहों को डराया-धमकाया जा सकता है और सबूतों से छेड़छाड़ भी की जा सकती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अहमदाबाद से मुंबई ट्रांसफर कर दिया था.

21 जनवरी 2008 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. स्पेशल कोर्ट ने 7 दोषियों को सबूतों के अभाव में बरी भी कर दिया था. जबकि, एक दोषी की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई थी.

बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया था. साथ ही बिलकिस को नौकरी और घर देने का आदेश भी दिया गया था.

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