देश में लोकतंत्र है। हम वोट डालते हैं, सरकार चुनते हैं, नेता बनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक बार जब कोई व्यक्ति नेता बन जाता है, तो वह अकेले ही लाखों-करोड़ों मतदाताओं की किस्मत का फैसला कैसे करता है?

शुरुआत एक वोट से होती है…

जब हम चुनाव में एक वोट डालते हैं, तो हमें लगता है कि यह महज़ एक प्रक्रिया है – लेकिन असल में यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमारे उस एक वोट से कोई नेता बनता है, और फिर वही नेता हमारे गाँव, मोहल्ले, शहर, यहाँ तक कि पूरे राज्य और देश की दिशा तय करता है।

विकास या विनाश – नेताजी के हाथ में

नेता बनने के बाद उसी व्यक्ति के हाथ में होता है कि वह सड़क बनाएगा या सिर्फ भाषण देगा, अस्पताल खोलेगा या खुद के लिए बंगला खरीदेगा, युवाओं को रोज़गार देगा या सिर्फ जुमले सुनाएगा। मतलब साफ़ है – हमारी जिंदगी की दिशा अब उस एक व्यक्ति की नीतियों, सोच, और ईमानदारी पर निर्भर हो जाती है।

जब फैसले निजी हो जाते हैं…

बहुत बार देखा गया है कि नेता जनता के लिए नहीं, अपने लिए फैसले लेते हैं। ठेके अपने करीबी को, योजनाएं सिर्फ दिखावे के लिए, और घोषणाएं सिर्फ चुनावी जुमले बन जाती हैं।

उदाहरण के लिए :-

बिहार में हर साल बाढ़ आती है, राहत के नाम पर सिर्फ घोषणाएं होती हैं। नेता हेलीकॉप्टर से मुआयना करके चले जाते हैं लेकिन जनता की जिंदगी वहीं की वहीं रह जाती है।
या फिर बेरोजगारी — हर चुनाव में वादा होता है कि “अब नौकरी मिलेगी”, लेकिन हकीकत में युवा शहर छोड़कर पलायन करता है।

भावनाओं से खेल और जातियों का जाल

नेता अक्सर जाति, धर्म और भावनात्मक मुद्दों का इस्तेमाल करते हैं ताकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। जब जनता भूख, बेरोज़गारी, महंगाई की बात करती है तो नेता जवाब में ‘धर्म खतरे में है’ या ‘हमारी जाति को अधिकार नहीं मिल रहा’ जैसे बयान दे देते हैं।

नेता

नेता तय करता है क्या मिलेगा और क्या नहीं…

किस इलाके में बिजली आएगी?

किस स्कूल में टीचर होंगे?

किस हॉस्पिटल में डॉक्टर मिलेगा?

किस गांव में पुल बनेगा?

ये सब फैसले एक नेता ही करता है — उसके काम करने के तरीके, ईमानदारी और नीयत से तय होता है कि जनता को कितना हक मिलेगा।

लेकिन बदलाव मुमकिन है…

हर बार नेता ही हमारी किस्मत का फैसला न करे — इसके लिए ज़रूरी है कि हम भी जागरूक बनें।

वादा सुनने से पहले पिछला रिकॉर्ड देखें

जात-पात की राजनीति को नकारें

मुद्दों पर वोट करें — शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार

नेता से सवाल पूछें — डरें नहीं, लोकतंत्र में हक है

किस्मत हमारे हाथ में है…

नेता हमारी किस्मत का फैसला करता है, लेकिन उस नेता को चुनने का हक हमारे पास है। अगर हम जागरूक मतदाता बन जाएं, तो किसी नेता की हिम्मत नहीं कि वो जनता को ठग सके।

नेता वही अच्छा होता है जो जनता की तकलीफ को अपनी जिम्मेदारी समझे, और मतदाता वही समझदार होता है जो सही नेता को पहचान सके।

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