Who is the chief minister in Maharashtra: महाराष्ट्र में महायुति को बड़ी जीत मिली लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री चेहरे पर फैसला नहीं हो पाया है। हालांकि शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान हो गया है और यह 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में होगा। महाराष्ट्र में महायुति में इस वक्त अजित पवार सबसे कैजुअल दिखाई दे रहे हैं और उनका डिप्टी सीएम बनना तय माना जा रहा है। लेकिन एकनाथ शिंदे असहज महसूस कर रहे हैं। दोबारा सीएम न बनाए जाने से वह खुश नहीं है।
वही,एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल ने बीते हफ्ते दिल्ली के अपने सरकारी आवास पर एक लंच दिया था। यही यह वो घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में हुए परिवर्तनों को उजागर करता है। मीटिंग में अजित पवार, उनकी पत्नी सुनेत्रा और उनके बेटे पार्थ और एनसीपी सांसद सुनील तटकरे वहां मौजूद थे। माना जा रहा कि महाराष्ट्र की नई सरकार में अजित पवार उपमुख्यमंत्री बनेंगे।
महाराष्ट्र में शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान लेकिन CM अभी तय नहीं
महाराष्ट्र में 288 में से 236 सीटें महायुति गठबंधन को मिली है। हालांकि अभी तक नई सरकार की रूपरेखा तय नहीं हो पाई है। अभी तक राज्यपाल ने किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। इस बीच एनसीपी नेता अजित पवार मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस को अपना समर्थन दे चुके हैं। तो वहीं एकनाथ शिंदे ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जो भी फैसला लेंगे, वह उसका पालन करेंगे।
बीजेपी नहीं कर सकती बड़ा प्रयोग
लोग उम्मीद जता रहे हैं कि बीजेपी महाराष्ट्र में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसा फार्मूला अपना सकती है, जहां पर वह कोई नया नेतृत्व दे सकती है। हालांकि महाराष्ट्र की स्थिति अलग है। महाराष्ट्र में तीनों दलों और नौकरशाहों पर निमंत्रण रखने के लिए एक अनुभवी चेहरे की आवश्यकता होगी। ऐसे में देवेंद्र फडणवीस इन सब में फिट बैठते हैं। महाराष्ट्र में आरएसएस भी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की वकालत कर रहा है।

मुंबई के एक राजनीतिक पत्रकार बताते हैं, ”केवल एक चीज है जो देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ जाती है वह है उनकी जाति।” मुख्यमंत्री के रूप में ब्राह्मण फडणवीस और डिप्टी सीएम के रूप में मराठा शिंदे और अजीत पवार के साथ – इस परिदृश्य की सबसे अधिक संभावना मानी जाती है। बीजेपी को ओबीसी को समायोजित करना होगा, जो विधानसभा चुनावों में इसके पक्ष में एकजुट हुए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी के मराठा चेहरे विनोद तावड़े जैसे नेताओं से सलाह ली ताकि यह पता लगाया जा सके कि देवेंद्र फडणवीस का मराठा समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
संसदीय ताकत (48 लोकसभा सीटें) के मामले में देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री पद फडणवीस को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला सकता है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के बराबर उनकी पहचान हो सकती है।
एकनाथ शिंदे बीमारी की बात कह कर अपने गांव चले गए हैं। हालांकि वह गृह मंत्रालय अमित शाह के लिए सौदेबाजी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार वह इतने समझदार है कि उन्हें पता है कि बीजेपी इस विभाग को नहीं छोड़ेगी। जब देवेंद्र फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री थे, तब भी यह विभाग उन्हीं के पास ही था।
एकनाथ शिंदे के पास नहीं है ज्यादा विकल्प
हालांकि एकनाथ शिंदे को यह पता है कि उनके पास कुछ ज्यादा विकल्प बचा नहीं है। दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाना या फिर नई सरकार को बाहर से समर्थन देना कोई विकल्प नहीं है। महाराष्ट्र में सत्ता से बाहर होना मतलब जनता के दिमाग से बाहर हो जाना है। सरकार गठन की प्रक्रिया में देरी करके वह खुद को शरद पवार के बाद सबसे बड़ा मराठा नेता के रूप में स्थापित करने का भी प्रयास कर रहे एकनाथ शिंदे हैं।
