Gidhaur/Jamui: गिद्धौर राज रियासत के गौरवशाली इतिहास में यहां के दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्र एवं शरद पूर्णिमा पर होने वाले मां महालक्ष्मी की पूजा यहां श्रद्धाभाव से की जाती है। इसका इंतजार यहां के लोग बहुत ही बेसब्री से करते हैं। शारदीय दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। जबकि शरद पूर्णिमा पर मां महालक्ष्मी की पूजा होती है। उलाई एवं नागी-नकटी नदी के संगम तट पर चंदेल राजाओं द्वारा स्थापित मां दुर्गा मंदिर में तांत्रिक विधान से प्राण प्रतिष्ठा और पूजा अनवरत होती आ रही है।

गिद्धौर शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा कार्यक्रम की उद्घोषणा

वही वर्ष 2024 के शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा कार्यक्रम की उद्घोषणा गिद्धौर राज रियासत के विद्वान ज्योतिषाचार्य डॉ. विभूति नाथ झा द्वारा कर दी गई है। इस वर्ष गुरुवार, 3 अक्टूबर से रविवार, 13 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र है। महाष्टमी शुक्रवार, 11 अक्टूबर; महानवामी शनिवार, 12 अक्टूबर और रविवार, 13 अक्टूबर को विजयदशमी है, इसी दिन प्रतिमा विसर्जन भी किया जायेगा। इसके बाद शरद पूर्णिमा बुधवार, 16 अक्टूबर को मां महालक्ष्मी की पूजा और गुरुवार, 17 अक्टूबर को प्रतिमा का विसर्जन है। ज्ञातव्य हो कि प्रतिवर्ष गिद्धौर में दुर्गा पूजा के अवसर पर वृहद स्तर पर मेला और पूरा बाजार सजता और और एक विशाल मेला लगता है। जिसमें बाहर से सर्कस, जादू का खेल, चूड़ियों की दुकान, मिठाई की दुकान, तारामाची, मौत का कुआं, काठघोड़ा, नाव जैसे खेल-तमाशे आते हैं। आप को बता दें कि यहां के मेला को वर्ष 1996 में तत्कालिन गिद्धौर के महाराजा बहादुर प्रताप सिंह चंदेल द्वारा जनाश्रित घोषित कर दिया गया, जिसके बाद से शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति द्वारा पूजा कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। समिति के संविधान के मुताबिक ग्राम पंचायत राज पतसंडा के मुखिया ही समिति के पदेन अध्यक्ष होंगे। वर्तमान में पंचायत की मुखिया ललिता देवी समिति की अध्यक्ष हैं। जबकि समिति में राजीव कुमार साव उर्फ पिंकू अभी कार्यकारी अध्यक्ष, शंभू कुमार केशरी सचिव एवं सुबोध कुमार केशरी कोषाध्यक्ष हैं। बिक्की कुमार की रिर्पोट गिद्धौर जमुई 

गिद्धौर
फाइल फोटो : गिद्धौर दुर्गा मंदिर

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