Gidhour/Jamui : आस्था में यूं तो लोग धूप, बरसात, पानी, पत्थर, कंकड़, कांटे सब सहकर मंदिरों में पूजा करने जाते हैं। यह श्रद्धालुओं की आस्था और सनातन संस्कृति में विश्वास ही है जो उन्हें श्रद्धापूर्वक मंदिरों में खींचे ले आती है। लेकिन जरा सोचिए कि क्या हो जब नहा-धोकर, पवित्र होकर लोग पूजा-अर्चना करने मंदिर आएं और वहां उन्हें नाले के पानी में एड़ियों तक डूबकर मंदिर जाना पड़े। ऐसा ही कुछ हाल है गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत पतसंडा पंचायत स्थित बाबा बूढ़ानाथ मंदिर की है। वही मंदिर के सामने रहने वालीं वार्ड संख्या दस की निवासी बबिता देवी ने बताया कि पूर्व में यहां पर मंदिर के ठीक सामने एक नाला बनाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे उसमें मिट्टी-कचड़े भरते गए और नाला सड़क के बराबर हो गया। इस तरह नाले का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। वहीं स्थानीय ग्रामीण मंटू कुमार रावत ने बताया कि मंदिर परिसर के पास सड़क ऊंचाई में है और नाली न होने की वजह से सड़क का पानी और गड्ढों में जमा पानी मंदिर परिसर में प्रवेश कर जाता है। जिससे कई बार भीषण बारिश से जलजमाव की समस्या होती है और पूरा गंदा पानी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर जाता है, जिससे शिवलिंग भी डूब जाता है।

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आस्था में श्रद्धालुओं को नाले के गंदे पानी में से निकलकर मंदिर जाने को मजबूर

खबर संकलन के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में 2 बार नाले का निर्माण किया गया। लेकिन समय के साथ-साथ उसमें कचड़ा और मिट्टी भर जाने की वजह से नाला का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। इस बारे में और जानने के लिए हमने अतीत की तहकीकात की। जिसमें जानकारी मिली की ग्राम पंचायत राज पतसंडा के पूर्व मुखिया अशोक रविदास के कार्यकाल में नाले का निर्माण हुआ था। उनसे टेलीफोन पर बात किए जाने पर उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में निर्माण हुआ था। जिसके बाद दो मुखिया बदल गए, फिर आगे की कोई जानकारी नहीं है। वहीं ग्रामीणों ने हमें यह भी बताया की मंदिर की घेराबंदी के समय भी नाला निर्माण और मरम्मतीकरण हुआ था। इस योजना से जुड़े अजीत कुमार ने बताया कि वर्तमान क्षेत्रीय विधायक दामोदर रावत के भवन निर्माण मंत्री रहते करीब आठ-नौ साल पहले मंदिर परिसर के छत्तेदार चबूतरा, चारदीवारी का निर्माण और ढक्कन युक्त नाला निर्माण हुआ था।

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वही जलजमाव के मामले को ग्राम पंचायत राज पतसंडा की वर्तमान मुखिया ललिता देवी एवं उनके प्रतिनिधि राजीव कुमार साव उर्फ पिंकू के संज्ञान में लाने पर उन्होंने बताया कि पूर्व में मंदिर के बगल के पोखरे में नाला का पानी जाता था। लेकिन उधर मकान निर्माण हो जाने और पोखरे में कचड़े का अंबार लग जाने की वजह से नाले का पानी उसमें नहीं जा पा रहा है। पूर्व से निर्मित नाले में बालू, मिट्टी, कचड़ा आदि भर दिए जाने से वो समतल हो गया है, जिसपर पार्किंग जैसा बनाकर आसपास के दुकानदार गाड़ी आदि पार्क करने लगे हैं। पोखरा में अब पानी का बहाव संभव नहीं है, इसके निदान के लिए स्थानीय विधायक दामोदर रावत से आग्रह किया गया है। जिसपर जानकारी मिली है कि बाबा बूढ़ानाथ मंदिर की ओर से एनएच के बीच से पुलिया बनाकर नाले का निर्माण होगा जो उत्क्रमित मध्य विद्यालय पतसंडा के बगल से बहने वाले नाले में आकर जुड़ जायेगा। चूंकि इसके लिए एनएच को काटना होगा, इसलिए विधायक जी के द्वारा ही एनएच विभाग से बात कर यह कार्य संभव हो सकेगा। इसके लिए भी आश्वासन मिला है। ऐसा हो जाने पर जलजमाव की समस्या से निजात मिल सकेगा।

संवाददाता बिक्की कुमार की रिर्पोट गिद्धौर जमुई :-

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