देश की राजधानी दिल्ली में 10 से 15 साल पुराने वाहनों को जब्त करने के अभियान पर दिल्ली सरकार ने फिलहाल रोक लगा दी है. वही दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वाहनों को सीज करने के लिए बनाया गया सिस्टम सही नहीं है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा है कि इस नियम को एक नवंबर ने पड़ोसी राज्यों के साथ लागू किया जाए. सरकार की चिट्ठी और सिरसा से बयान से साफ है कि अब राजधानी में पुरानी गाड़ियों को बैन करने का अभियान रुक जाएगा.
ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि पिछले दो दिनों में देश की राजधानी के अंदर जिन एंड ऑफ़ लाइफ गाड़ियों को सीज किया गया, उसका अब क्या होगा. क्या उन मालिकों को यह गाड़ियां वापस दी जाएंगी?

क्या दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग से अब नहीं होगी वापसी
दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो यह पॉलिसी पिछली सरकार के दौरान इंप्लीमेंट होनी थी लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने इसको इंप्लीमेंट नहीं किया था. ऐसे में जिन गाड़ियों को जब्त किया गया है, वह पिछली सरकार की पॉलिसी के तहत ही किया गया है. ऐसे में उन गाड़ियों का ट्रांसपोर्ट विभाग से छूटना मुश्किल काम है.
क्या कहते हैं ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट्स…
वही,जानकारों की मानें तो दिल्ली सरकार का एक सर्कुलर है, जिसमें राजधानी की गाड़ियों को दूसरे राज्य में ले जाने का नियम बताया गया है. वही इस सर्कुलर के मुताबिक, लोगों को एक एफिडेविट देनी होगी, जिसमें वाहन मालिक बताएंगे कि वो इस गाड़ी को दिल्ली से बाहर दूसरे राज्य में ले जाएंगे.
इसके साथ ही 10 हजार का चालान कटवाना पड़ेगा.
वही,इसके अलावा वाहन को सीज करने में ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा लगा जो खर्च हुआ है वो भी देना पड़ेगा. इसके बाद सीज की गई पुरानी गाड़ी वाहन मालिक को मिल सकेगी. लेकिन इस वाहन को दिल्ली में नहीं चला सकेंगे.
क्या है यह नया नियम?
दरअसल, अप्रैल 2025 में ‘कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट’ (CAQM) ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि 1 जुलाई से सभी ‘एंड ऑफ लाइफ’ (ईओएल) यानी तय उम्र पार कर चुकी गाड़ियों को फ्यूल देना बंद किया जाए। इसमें डीजल गाड़ियों के लिए 10 साल और पेट्रोल गाड़ियों के लिए 15 साल की समयसीमा तय की गई है।
दिल्ली के सभी पेट्रोल और सीएनजी पंपों पर 30 जून तक ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाने का आदेश दिया गया था। ये कैमरे नंबर प्लेट पढ़कर यह पहचान लेंगे कि गाड़ी कितनी पुरानी है। यदि कोई गाड़ी तय समय सीमा से ज्यादा पुरानी पाई गई, तो उसे ईंधन नहीं दिया जाएगा। जो मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 के तहत आता है। जिसके तहत कानूनी कार्रवाई होती है।