बिहार की राजधानी पटना में चर्चित और कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की आज सुबह लगभग 7 बजे पांच अपराधियों ने मिलकर पटना के पारस अस्पताल में घुसकर उसे गोलियों से छलनी कर दिया। इस घटना में चंदन मिश्रा की मौके पर ही मौत हो गई। चंदन मिश्रा बक्सर का रहने वाला था। इस घटना ने न सिर्फ पटना बल्कि पूरे बिहार को हिला कर रख दिया है। आज दिन भर आम आदमी से लेकर विपक्ष तक लॉ एंड ऑर्डर के बिगड़ने की बात कहते रहे। अब पुलिस ने कुछ अपराधियों को हिरासत में लिया है, जिसमें एक मुख्य शूटर भी बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर रही है।
शूटर की पहचान की चर्चा बिहार में तेज
बिहार पुलिस और एसटीएफ शूटर की पहचान को लेकर नया खुलासा करने वाली है। मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने दो आरोपियों की शिनाख्त मुख्य रूप से की है। उनमें से एक पटना के पॉश एरिया बोरिंग रोड और दूसरे शूटर की पहचान फुलवारी शरीफ इलाके से की है। जानकारी तो यह भी मिल रही है कि इस घटना में शामिल सभी आरोपियों की पहचान पुलिस ने कर ली है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए पटना के विभिन्न हिस्सों में सघन छापेमारी कर रही है। इस संबंध में पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि, “हमने तकनीकी और मानव खुफिया स्रोतों से जो सुराग इकट्ठा किए हैं, उनके आधार पर हम बहुत जल्द हत्यारों तक पहुंचने वाले हैं। यह हत्याकांड पूरी तरह सुनियोजित था और इसमें बाहरी और आंतरिक (अस्पताल से जुड़े) लोगों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।
कातिलों की पहचान
जांच में पुलिस को इस वारदात में शामिल पांचों शूटर्स की पहचान हो गई है. वही सूत्रों का कहना है कि इस शूटआउट का लीडर था तौसीफ बादशाह, जो घटना के वक्त सफेद प्रिंटेड शर्ट और नीली जींस में नजर आया था. तौसीफ कोई मामूली अपराधी नहीं, बल्कि सेंट कैरेन्स स्कूल, पटना से पढ़ा-लिखा है और अब वह फुलवारी शरीफ में जमीन का धंधा करता है. पुलिस के मुताबिक, तौसीफ का गैंग सुपारी लेकर हत्या करता है और इस मामले में भी ऐसी ही साजिश की आशंका जताई है.

जानिए कौन है मृतक चंदन मिश्रा
बिहार में खौफ का पर्याय था चंदन-शेरू गैंग
इस गैंग का नाम पहली बार 2009 में बक्सर जिले में सामने आया. उसके बाद एक के बाद एक कई संगीन वारदातें हुईं:
– 06 सितंबर 2009: बिहार बक्सर सिमरी में अनिल सिंह की हत्या
– 10 मार्च 2011: पूर्व मुखिया मो. नौशाद की हत्या
– 20 अप्रैल 2011: भरत राय की हत्या
– 26 जुलाई 2011: शिवजी खरवार की हत्या
– 31 जुलाई 2011: मो. निजामुद्दीन की हत्या
– 04 मई 2011: जेल के क्लर्क हैदर अली की हत्या
– 21 अगस्त 2011: कारोबारी राजेंद्र केसरी की हत्या
– 11 अप्रैल 2012: कोचिंग संचालक हरि नारायण सिंह की हत्या
– 2013 में: सिपाही हामिद अंसारी की हत्या
इन सभी मामलों में चंदन और शेरू के गैंग का नाम सामने आया था. पुलिस का कहना है कि चंदन मिश्रा बक्सर का रहने वाला कुख्यात अपराधी था। इसके पूर्व के कई आपराधिक इतिहास भी थे। वह फिलहाल ऑपरेशन कराने के लिए बेउर जेल से पैरोल पर निकला था। उसका ऑपरेशन हो चुका था और अब कल वापस वह जेल जाने वाला था।
जेल में भी नहीं थमी दुश्मनी
चंदन और शेरू दोनों इन हत्याओं के मामले में भागलपुर जेल में बंद थे. लेकिन वहां भी दोनों के बीच झगड़े होते ही रहते थे. दोस्ती कब दुश्मनी में बदल गई, किसी को पता नहीं चला. जेल में ही दोनों के बीच जबरदस्त मारपीट हुई. बाद में दोनों ने अपने-अपने अलग गैंग बना लिए और एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे.
गैंगवार में चंदन की बलि
चंदन मिश्रा की हत्या को गैंगवार का एक नतीजा माना जा रहा है. पुलिस को भी शक है कि यह पूरा हमला शेरू गैंग की ओर से कराया गया है. चंदन को जिस तरह से फिल्मी स्टाइल में गोलियां मारी गईं, वो दर्शाता है कि यह एक पूरी तरह प्लान की गई सुपारी किलिंग थी. पारस अस्पताल में CCTV फुटेज खंगालने पर पता चला है कि हमलावर वारदात के बाद बक्सर की ओर भागे हैं.
जांच में मिले अहम सुराग
पटना पुलिस के मुताबिक, सुबह 7:15 बजे अस्पताल परिसर में चंदन मिश्रा को गोलियों से छलनी कर दिया गया है. मौके पर पहुंची पुलिस ने आसपास के CCTV कैमरों की फुटेज चेक की और हमलावरों की पहचान शुरू की. वही चंदन मिश्रा के खिलाफ बक्सर जिले में 24 से ज्यादा मामले दर्ज थे और वह वर्तमान में व्यापारी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहा था. इलाज के लिए उसे पैरोल मिला था.
Jis Desh ka Raja hi chor ho us desh ka ,us state ka ,us samaj ka kabhi bhala nahi ho sakta hai , humare Desh Ke Raja Ne Angrej se Bhi jayada buri halat Kar Rakhi Hai Apne Desh ki janta ki