बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं है, बल्कि यह भारत की राजनीति की धड़कन रहा है। यहां की मिट्टी से ऐसे नेता निकले हैं जिन्होंने पूरे देश की राजनीति की दिशा बदल दी। आज भी जब भारतीय राजनीति की बात होती है तो बिहार का नाम सबसे आगे आता है।

प्राचीन काल से राजनीति की धरती

अगर इतिहास की तरफ जाएं तो बिहार की धरती पर ही दुनिया का पहला गणराज्य वैशाली बसा था। यहां जनता अपने शासक का चुनाव करती थी। यही वजह है कि कहा जाता है – लोकतंत्र की जड़ें बिहार में सबसे पहले पनपी थीं। मगध साम्राज्य से लेकर सम्राट अशोक तक की गवाही यही धरती देती है।

स्वतंत्रता संग्राम में बिहार का योगदान

आज़ादी की लड़ाई में भी बिहार ने सबसे आगे बढ़कर हिस्सा लिया।

चंपारण आंदोलन महात्मा गांधी ने यहीं से शुरू किया, जिसने आज़ादी की लड़ाई को नई ऊर्जा दी।

बिहार
फाइल फोटो: चंपारण आंदोलन में महात्मा गांधी

जयप्रकाश नारायण (जेपी आंदोलन) ने इमरजेंसी के खिलाफ देशभर में क्रांति की चिंगारी जलाई, और यह चिंगारी बिहार की धरती से निकली थी।
यानी देश में जब भी लोकतंत्र खतरे में आया, बिहार ने आवाज उठाई।

आधुनिक राजनीति और बिहार

आजादी के बाद बिहार भारतीय राजनीति का केंद्र बना। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, देश के पहले राष्ट्रपति, इसी मिट्टी से निकले। फिर कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता आए जिन्होंने सामाजिक न्याय की राजनीति को पहचान दिलाई।

1990 के दशक में लालू प्रसाद यादव का दौर शुरू हुआ। उन्होंने गरीबों और पिछड़ों को राजनीतिक पहचान दी। उसी दौर में बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों पर और मजबूत हो गई। इसके बाद नीतीश कुमार का दौर आया, जिन्होंने विकास और सुशासन का नारा देकर राजनीति की नई दिशा दी।

सूबे के लोगो का भावनात्मक पहलू

बिहार के लोग राजनीति को सिर्फ सत्ता का खेल नहीं मानते, बल्कि यह उनके आत्मसम्मान और पहचान से जुड़ा मुद्दा है। गांव-गांव में बैठकों से लेकर चौपालों तक हर कोई राजनीति पर चर्चा करता है। यहां बच्चा भी जाति समीकरण और गठबंधन पर अपनी राय दे देता है।

लेकिन दुख की बात यह भी है कि इतनी राजनीतिक ताकत और विरासत होने के बावजूद बिहार आज भी बेरोजगारी, पलायन और पिछड़ेपन से जूझ रहा है। यही वजह है कि जब भी चुनाव आते हैं, लोग सिर्फ विकास का सपना नहीं, बल्कि अपनी पीढ़ियों की उम्मीदें भी नेताओं से जोड़कर रखते हैं।

बिहार भारत के लोकतंत्र का आईना

बिहार की राजनीति सिर्फ सत्ता बदलने की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र का आईना है। यहां के संघर्ष, आंदोलन और नेताओं ने हमेशा देश को दिशा दी है। यही वजह है कि बिहार को राजनीति की जन्मभूमि कहा जाता है।

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