सुप्रीम कोर्ट आज यानी मंगलवार को बिहार मतदाता सूची संशोधन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं ने मतदाता सूची संशोधन पर सवाल उठाए हैं। SIR की प्रक्रिया में निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट से बिहार के 65 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम कटने की बात कही है। आज सुप्रीम कोर्ट बिहार में वोटर्स लिस्ट रिवीजन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई में दस्तावेजों की वैधता पर उठाए थे सवाल
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आधार, राशन कार्ड और वोटर्स ID को मतदाता की पहचान के लिए मान्य करने का सुझाव दिया गया था। सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने दस्तावेजों की वैधता पर सवाल उठाया तो चुनाव आयोग ने जवाब में कहा कि सिर्फ आधार कार्ड, राशन कार्ड या पहले जारी किया गया मतदाता पहचान पत्र के ज़रिए किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।
बिहार में वोटर लिस्ट से कटेंगे 65 लाख नाम
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को बिहार SIR के पहले चरण के आंकड़े जारी किया था। इसमें बताया गया है कि बिहार में 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे। इनमें से 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, 36 लाख लोग स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, जबकि करीब 7 लाख लोगों के नाम एक से अधिक जगह पाए गए। विपक्ष चुनाव आयोग पर बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगा रहा है जबकि बीजेपी (BJP) का आरोप है कि चुनाव में हार के डर से विपक्ष ये मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है।
सरकार और चुनाव आयोग पर विपक्ष हमलावर
वहीं विपक्षी दल इस मुद्दे पर लगातार हंगामा कर रहे हैं। सोमवार को दिल्ली में राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष के सांसदों ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग तक मार्च करने की कोशिश की।
विपक्ष की मांग को देखते हुए चुनाव आयोग ने विपक्ष के तीस नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था….लेकिन विपक्ष के नेता दो सौ सांसदों के साथ चुनाव आयोग जाना चाहते थे… पुलिस ने बिना इजाजत मार्च करने की कोशिश कर रहे विपक्ष के सांसदों को आगे नहीं बढ़ने दिया और सबको हिरासत में ले लिया। राहुल गांधी ये जो लड़ाई है ये राजनीतिक नहीं है..ये कांस्टीट्यूशन की लड़ाई है। यह कंस्टीट्यूशन को बचाने की लड़ाई है.. वन मैन वन वोट की लड़ाई है..इसीलिए हमें साफ प्योर वोटर लिस्ट चाहिए।