कलाम

Dr APJ Abdul Kalam Career : डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और 11वें राष्ट्रपति थे, जिन्हें “मिसाइल मैन” के नाम से जाना जाता है। उन्होंने भारत के रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में ऐतिहासिक योगदान दिया। अपने जीवन में उन्होंने सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति को सर्वोपरि रखा। वे युवाओं को प्रेरित करने वाले व्यक्तित्व थे, जिनकी सोच और कार्य आज भी लोगों को दिशा दिखाते हैं।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में 15 अक्टूबर 1931 को एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता नाव चलाकर परिवार का पेट पालते थे इतने मुश्किल आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपने पढ़ाई जारी रखी और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।

वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्रा

डॉ कलाम ने अपने करियर की शुरुआत 1958 में DRDO से की और फिर 1969 में ISRO से जुड़ गए। वहां उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-III का नेतृत्व किया, जिससे 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया।

मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम

1982 में DRDO लौटकर उन्होंने मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) की नींव रखी। इसमें ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ जैसी मिसाइलें बनीं। 1998 में उन्होंने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाई, जिससे भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना।

राष्ट्रपति कार्यकाल

2002 में उन्हें भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। वे पहले वैज्ञानिक थे जो इस पद पर पहुंचे। उन्हें पूरे देश ने “जनता का राष्ट्रपति” कहा क्योंकि वे जनता, विशेषकर युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय थे। उनका कार्यकाल 2007 में समाप्त हुआ।

लेखक और प्रेरणास्रोत

राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद उन्होंने शिक्षण और लेखन को प्राथमिकता दी। उन्होंने Wings of Fire, Ignited Minds, India 2020 जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं। वे युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर में व्याख्यान देते थे।

सम्मान और अंतिम यात्रा

कलाम

डॉ. कलाम को भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990) और पद्म भूषण (1981) जैसे सर्वोच्च सम्मान मिले। 27 जुलाई 2015 को IIM शिलॉन्ग में संबोधित करते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। उनके सम्मान में अब्दुल कलाम द्वीप और अंतरिक्ष में पाए गए बैक्टीरिया का नाम Solibacillus kalamii के नाम पर रखा गया।

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