पटना से रिपोर्ट |AVN NEWS| कभी बिहार की राजनीति में ‘सुशासन बाबू’ यानी नीतीश कुमार युवाओं के लिए उम्मीद की एक बड़ी किरण थे। 2005 में जब उन्होंने लालू यादव के ‘जंगलराज’ को चुनौती दी थी, तब युवाओं ने उन्हें हाथों-हाथ लिया था। सड़क, बिजली, पानी, कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर सुधार हुआ और लगा कि बिहार अब बदलेगा। लेकिन अब वही युवा, जो पहले उनके सबसे बड़े समर्थक थे, आज निराश और नाराज़ नज़र आ रहे हैं।

तो सवाल उठता है – आख़िर क्यों हो रहा है युवाओं का नीतीश कुमार से मोहभंग?
1. बेरोजगारी बनी सबसे बड़ी वजह
बिहार में बेरोजगारी दर अप्रैल 2024 में 17.1% तक पहुंच गई, जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है। डिग्रियां लेकर घूम रहे नौजवानों को सरकारी नौकरी तो दूर, प्राइवेट सेक्टर में भी मौके नहीं मिल पा रहे हैं। 19 सालों की सत्ता में नीतीश कुमार युवाओं को स्थायी रोजगार देने में सफल नहीं हो पाए हैं।
“हमने B.Tech किया, प्रतियोगिता परीक्षा दी, लेकिन नौकरी नहीं मिली… अब उम्र भी निकलती जा रही है। नीतीश जी से उम्मीद थी, लेकिन अब भरोसा नहीं रहा।“ – राहुल कुमार, गया
2. शिक्षा व्यवस्था का गिरता स्तर
बिहार की सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की हालत ज्यों की त्यों बनी हुई है। शिक्षक भर्ती घोटाले, समय पर परीक्षा न होना और रिजल्ट में गड़बड़ी जैसी घटनाओं ने युवाओं का विश्वास तोड़ा है। वर्ष 2023 में बीपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी की ख़बरें आईं, जिससे लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया।
3. राजनीतिक पलटियों से गिरा भरोसा
नीतीश कुमार का बार-बार गठबंधन बदलना (बीजेपी – महागठबंधन – फिर बीजेपी) युवाओं को अवसरवादी राजनीति लगने लगी है। अब युवा पूछने लगे हैं – “क्या सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश जी कोई भी समझौता कर सकते हैं?“
“नेता जी का स्टैंड कभी स्थिर नहीं रहा, ऐसे में कोई युवा कैसे विश्वास करे कि उनके लिए सही फैसले होंगे?“ – शिखा राज, पटना यूनिवर्सिटी की छात्रा
4. माइग्रेशन का दर्द
बिहार से पलायन आज भी जारी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 30 लाख युवा राज्य से बाहर नौकरी और पढ़ाई के लिए पलायन करते हैं। यह बताता है कि नीतीश सरकार स्थानीय स्तर पर अवसर देने में विफल रही है।
5. युवाओं की राजनीति में अनदेखी
बिहार की राजनीति में युवाओं को उचित भागीदारी नहीं मिल रही है। 2020 विधानसभा चुनाव में भी अधिकतर टिकट पुराने चेहरों को ही मिला। युवाओं को लगता है कि उनकी आवाज़ सत्ता के गलियारों में नहीं सुनी जाती।
6. डिजिटल बिहार का सपना अधूरा
नीतीश कुमार ने डिजिटल बिहार की बात की थी, लेकिन आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल शिक्षा की हालत बेहद खराब है। पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है, लेकिन न तो मोबाइल है, न नेटवर्क।
बिहार के युवाओं ने नीतीश कुमार पर भरोसा किया था कि वे राज्य को विकास की राह पर ले जाएंगे। कुछ हद तक उन्होंने शुरुआत भी की, लेकिन आज का युवा सिर्फ शुरुआत नहीं, नतीजे चाहता है। अब 2025 का चुनाव सिर पर है, और युवा इस बार सवाल पूछने के मूड में हैं।
क्या इस बार जवाब मिलेगा? या फिर बदलाव की बयार बहने वाली है?