बिहार की सत्ता पर करीब 20 साल से एनडीए का राज है और केंद्र में भी बीजेपी मिल कर सरकार चला रही है। कभी जेडीयू-भाजपा साथ रहे, कभी अलग हुए, फिर साथ आ गए — लेकिन जनता के सवाल अब भी वहीं के वहीं खड़े हैं। गांव-गांव, कस्बे-कस्बे और शहरों में लोगों के मन में एक ही बात गूंजती है — “कब तक हमारे बच्चे रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों को जाएंगे?”
जब हर ट्रेन बिहार से बाहर ही जाती है, तो सोचिए विकास किस दिशा में जा रहा है…
बिहार की सबसे बड़ी समस्या आज भी पलायन और बेरोजगारी है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लाखों युवा पंजाब, दिल्ली, मुंबई, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों में मजदूरी या नौकरी करने के लिए निकलते हैं। ट्रेनें आज भी “माइग्रेशन एक्सप्रेस” की तरह भरकर जाती हैं। जिन हाथों में किताबें और कलम होनी चाहिए, वे ईंट-गारे उठाने को मजबूर हैं।

रोजगार के बिना विकास अधूरा है, और सपनों के बिना बिहार सूना है।
नीतीश कुमार ने “सुशासन” और “विकास के मॉडल” का वादा किया था। सड़कों और बिजली पर थोड़ा सुधार जरूर हुआ, लेकिन उद्योग कहाँ हैं? कारखाने क्यों नहीं खुले? सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया सालों तक लटकी क्यों रहती है? भर्ती प्रक्रिया में पेपर लीक क्यों? बेरोजगारी का ग्राफ नीचे क्यों नहीं उतरता? ये सवाल आज भी हर परिवार के दिल में टीस की तरह उठता है।
गांव के रामबाबू कहते हैं, “बेटा इंजीनियरिंग पढ़ लिया लेकिन अब तक नौकरी नहीं मिली। पंजाब जाना पड़ा खेतों में काम करने। क्या इसी दिन के लिए पढ़ाया था?” ऐसी कहानियां हर जिले में, हर मोहल्ले में मिल जाएंगी।
बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तीनों ही मोर्चों पर ठहराव नजर आता है। राजनीति बदलती रही, चेहरे बदले, गठबंधन बदले, लेकिन हालात नहीं। युवा अब सवाल करने लगा है — “क्या सिर्फ चुनावी भाषणों और पोस्टरों से बिहार बदलेगा?”
सच्चाई यह है कि बिहार की मिट्टी में मेहनत और हुनर की कोई कमी नहीं। यहाँ के लोग पूरे देश का इंजन चलाते हैं, लेकिन अपने ही राज्य में ठहरने की सुविधा नहीं। यह सिर्फ सरकारों की नाकामी नहीं, बल्कि एक अधूरी कहानी है — विकास के वादों और हकीकत के बीच की गहरी खाई की।
अब जनता के मन में एक भावनात्मक सवाल उठ रहा है —
“20 साल काफी नहीं थे बिहार को खड़ा करने के लिए?”
“अगर अब भी युवा बाहर जाएंगे, तो बिहार के भविष्य की नींव कौन रखेगा?”
जनता जवाब चाहती है — आंकड़ों में नहीं, असल ज़मीन पर दिखने वाले बदलावों में।
