दशहरा

क्या है दशहरा का इतिहास और महत्व? 

भारत त्योहारों का देश है, जहाँ प्रत्येक पर्व किसी न किसी धार्मिक, सांस्कृतिक या ऐतिहासिक घटना से जुड़ा होता है। इन्हीं पर्वों में से एक है “दशहरा”, जिसे “विजयादशमी” भी कहा जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और पूरे भारत में बड़े धूमधाम और श्रद्धा से मनाया जाता है।

दशहरा

दशहरा का इतिहास और महत्व

दशहरा शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है—”दश” (दस) और “हरा” (हरना), जिसका अर्थ है “दस बुराइयों का नाश”। इसका संबंध दो प्रमुख पौराणिक घटनाओं से है:

  1. राम-रावण युद्ध: भगवान राम ने रावण का वध इसी दिन किया था। रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, और राम ने वानर सेना की सहायता से लंका पर चढ़ाई कर रावण का अंत किया। इसलिए यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
  1. माँ दुर्गा की विजय: इस दिन को नवरात्रि के अंतिम दिन के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर राक्षस से युद्ध करने के बाद दशमी को उसे पराजित किया। इसीलिए इस दिन को “विजयादशमी” कहा जाता है।

दशहरा

यह भी पढ़े: सबके अपने-अपने राम..

दशहरा कैसे मनाया जाता है?

भारत के विभिन्न हिस्सों में दशहरा को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, परंतु इसका मूल उद्देश्य एक ही होता है—बुराई पर अच्छाई की जीत।

  1. रामलीला का आयोजन: उत्तर भारत में विशेष रूप से दशहरा के पहले कई दिनों तक “रामलीला” का मंचन किया जाता है, जिसमें रामायण की कथा को नाटक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। दशमी के दिन राम द्वारा रावण वध की लीला होती है।
  1. पुतला दहन: दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। इन पुतलों के अंदर पटाखे भरे जाते हैं और उन्हें जलाकर बुराई के अंत का प्रतीक प्रस्तुत किया जाता है।
  1. माँ दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन: बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में यह दिन दुर्गा पूजा के समापन के रूप में मनाया जाता है। मां दुर्गा की प्रतिमाओं का भव्य शोभायात्रा के साथ जल में विसर्जन किया जाता है।
  1. शमी पूजन: विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष की पूजा की जाती है, क्योंकि यह भगवान राम की विजय का उद्घोष करने में सहायक था. यह परंपरा समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है. 

दशहरा का सामाजिक और नैतिक संदेश

दशहरा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह एक “नैतिक शिक्षा” भी देता है कि “बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत सच्चाई और धर्म की होती है”। यह हमें अपने भीतर की बुराइयों—जैसे क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, और अहंकार—का त्याग करने की प्रेरणा देता है।

दशहरा का आधुनिक महत्व

आज के युग में दशहरा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह पर्व लोगों को आपसी प्रेम, भाईचारे और सामाजिक एकता का संदेश देता है। बच्चों और युवाओं में धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना जागृत करने का यह एक सशक्त माध्यम बन गया है।

निष्कर्ष

दशहरा न केवल भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा है, बल्कि यह जीवन को सही दिशा में ले जाने वाला मार्गदर्शक पर्व भी है। यह हमें यह सिखाता है कि “हर इंसान के जीवन में अच्छाई की जीत तभी संभव है जब वह अपने अंदर की बुराइयों से युद्ध करे और उन्हें हराए”। इसलिए, दशहरा केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन का अवसर भी है।

आप सभी देशवासियों को “एवीएन परिवार” की ओर विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

यह भी पढ़े: दिल्ली के करोल बाग में है दुनिया की सबसे ऊंची हनुमान मूर्ति, कई फिल्मों और सीरियल में भी दिखाते हैं इसका शॉट..

Note:

Disclaimer: यह आर्टिकल, व लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है। यह जानकारी सोर्स पर आधारित है, प्रकाशक किसी भी त्रुटि या चूक के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

|| मुझे उम्मीद है की आपको यह कविता, आर्टिकल, लेख “!क्या है दशहरा का इतिहास और महत्व?!” जरुर पसंद आई होगी। हमारी हमेशा से यही कोशिश रहती है की रीडर को पूरी सही जानकारी प्रदान की जाये।

!!अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे आपने सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। इस आलेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। avnnews.in में दोबारा विजिट करते रहें…..!!

By: KP
Edited  by: KP

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *