Guru nanak jayanti

Guru nanak jayanti : देश भर में गुरु पर्व की धूम

भारत विविधता में एकता का देश है, जहाँ हर धर्म, हर परंपरा और हर त्यौहार अपनी खास महत्ता रखता है। इन्हीं में से एक है “गुरु पर्व”, जिसे पूरे देश में श्रद्धा, आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरु पर्व, जिसे “गुरु नानक जयंती” या “प्रकाश पर्व” के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म के प्रथम गुरु “गुरु नानक देव जी” के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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गुरु नानक देव जी का जीवन दर्शन

गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जिसे आज “ननकाना साहिब” (पाकिस्तान) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में प्रेम, शांति, समानता और ईश्वर भक्ति का संदेश दिया। “एक ओंकार”, अर्थात् ईश्वर एक है, उनका प्रमुख उपदेश था। उन्होंने जात-पात, भेदभाव और अंधविश्वास का विरोध किया और मानवता को सर्वोच्च माना।

Guru nanak jayanti :
पटना साहिब

देशभर में उत्सव का माहौल

गुरु पर्व के अवसर पर देश के हर हिस्से में विशेष तैयारियाँ की जाती हैं। “गुरुद्वारों” को सुंदर फूलों, रोशनी और दीयों से सजाया जाता है। सबसे पहले दिन की शुरुआत “नगाड़ा कीर्तन” और “नगर कीर्तन” से होती है, जिसमें पंच प्यारे अग्रणी रहते हैं और श्रद्धालु झांकियों के साथ गुरु ग्रंथ साहिब का संदेश जन-जन तक पहुँचाते हैं।

“अमृतसर के स्वर्ण मंदिर”, “पटना साहिब”, “ननकाना साहिब” और “दिल्ली के गुरुद्वारे” में लाखों श्रद्धालु एकत्र होकर कीर्तन, अरदास और लंगर में भाग लेते हैं। देश के अन्य हिस्सों में भी श्रद्धालु भक्ति और सेवा की भावना से इस पर्व को मनाते हैं।

Guru nanak jayanti

लंगर और सेवा की परंपरा

गुरु पर्व की सबसे विशेष परंपरा होती है “लंगर” — यानी सामूहिक भोजन। इसमें हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह समानता और एकता का प्रतीक है। लंगर में सैकड़ों स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं, जो गुरु नानक देव जी के “सेवा ही सच्ची भक्ति है” के संदेश को जीवंत करता है।

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आध्यात्मिक महत्व

गुरु पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और सेवा का दिन भी है। इस दिन लोग गुरु नानक देव जी के उपदेशों को याद करते हुए सच्चाई, करुणा, ईमानदारी और समानता के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।

निष्कर्ष

गुरु पर्व, भारतीय संस्कृति की उस भावना को दर्शाता है जहाँ धर्म, मानवता और प्रेम का संगम होता है। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सैकड़ों वर्ष पहले थीं। देश भर में गुरु पर्व की यह धूम केवल उत्सव का प्रतीक नहीं, बल्कि मानवता के उजाले की लौ है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है।

आप सभी देशवासियों को “एवीएन परिवार” की ओर से गुरु पर्व/ गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं! 

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Note:

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By: KP
Edited  by: KP

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