छठ पूजा के चार दिन

छठ पूजा के चार दिन  और क्या है छठ पूजा की विशेषताएँ ! 4 Days of Chhath Puja 

4 Days of Chhath Puja : छठ पूजा (Chhath Puja) हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और प्रमुख पर्व है, जो “मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों” में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व “सूर्य देव (भगवान भास्कर)” और उनकी “बहन छठी मइया (देवी उषा)” को समर्पित होता है। छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना उनके उगते और अस्त होते रूप — दोनों समय — की जाती है।

 छठ पूजा का महत्व (Importance of Chhath Puja)

छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य “सूर्य देव और प्रकृति” के प्रति आभार व्यक्त करना है, क्योंकि सूर्य ही जीवन का आधार हैं — वे ऊर्जा, स्वास्थ्य, और समृद्धि के प्रतीक हैं।

यह पर्व शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।

माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से छठी मइया की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, और घर में सुख-समृद्धि आती है।

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छठ पूजा कब मनाई जाती है

छठ पूजा “कार्तिक मास (अक्टूबर–नवंबर) के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि” को मनाई जाती है — अर्थात् “दीपावली के छठे दिन”।

यह पर्व “चार दिनों” तक चलता है।

छठ पूजा के चार दिन

छठ पूजा के चार दिन (4 Days of Chhath Puja)

1 पहला दिन – नहाय-खाय (Nahay Khay)

  • इस दिन व्रती (उपवास करने वाला व्यक्ति) पवित्र स्नान करता है, आमतौर पर नदी या तालाब में।
  • घर में शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाया जाता है, जैसे लौकी-भात (कद्दू-चावल)।
  • यही भोजन प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है और इसके बाद व्रत शुरू होता है।

2 दूसरा दिन – खरना (Kharna)

  • इस दिन व्रती “पूरा दिन निर्जला उपवास” रखता है।
  • शाम को सूर्यास्त के बाद पूजा करके व्रती “गुड़-चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद” बनाता है।
  • व्रती सबसे पहले यह प्रसाद ग्रहण करता है और फिर परिवार व पड़ोसियों को बाँटता है।
  • इसके बाद अगले 36 घंटे का “निर्जला व्रत” शुरू होता है।

3 तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)

  • इस दिन व्रती और भक्तगण “नदी, तालाब या घाट” पर जाकर अस्ताचल सूर्य (डूबते सूर्य) को अर्घ्य देते हैं।
  • इस अवसर पर घाटों पर अद्भुत दृश्य होता है — महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में, बाँस की सुप में पूजा सामग्री लेकर जल में खड़ी होकर सूर्य को जल अर्पित करते हैं।
  • पूजा में “ठेकुआ, केले, ईख (गन्ना), नारियल, दीपक आदि” का विशेष महत्व होता है।

4 चौथा दिन – उषा अर्घ्य (Usha Arghya)

  • अंतिम दिन प्रातः काल “उगते हुए सूर्य” को अर्घ्य दिया जाता है।
  • इसके साथ ही व्रती अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करती है।
  • अर्घ्य के बाद व्रती व्रत तोड़ता है (पारण करता है) और प्रसाद ग्रहण करता है।
  • इसके बाद परिवार और समाज में प्रसाद वितरण किया जाता है।

छठ पूजा की विशेषताएँ

  1. संपूर्ण पर्व पवित्रता और आत्मसंयम पर आधारित है।
  2. व्रती नमक, तेल, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करता।
  3. पूरे अनुष्ठान में कोई पुजारी नहीं होता — व्रती स्वयं पूजा करता है।
  4. सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  5. पर्यावरण संरक्षण और जल शुद्धि” का संदेश भी यह पर्व देता है।

छठ पूजा के चार दिन

छठी मइया का आशीर्वाद

लोकमान्यता है कि “छठी मइया” (देवी उषा) बच्चों की रक्षा करती हैं और संतान, स्वास्थ्य व समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

इसी कारण से इस पर्व को विशेष रूप से “माताओं और बहनों” द्वारा बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।

आप सभी देशवासियों को “एवीएन परिवार” की ओर से छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! 

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Note:

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By: KP
Edited  by: KP

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