April Fool Facts : 1 अप्रैल, यह एक खास दिन है जब लोगों की मूर्खता का जश्न मनाया जाता है। इस दिन, लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मजेदार प्रैंक खेलकर हंसी-मजाक का माहौल बनाते हैं। और जब प्रैंक सफल होता है, तो उन्हें उत्साह में अप्रैल फूल डे कहकर चिल्लाने का मौका मिलता है। यह रस्म शुरुआत में फ्रांस में थी, लेकिन अब इसका जश्न विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन के पीछे कई मजेदार कहानियाँ भी हैं, जिनमें से कुछ हमें बातें बताती हैं कि ऐसा कैसे शुरु हुआ।
कैसे हुई अप्रैल फूल डे की शुरुआत
एक पुरानी कहानी के अनुसार, अप्रैल फूल डे का आगाज़ बहुत पुराने समय में हुआ था, जब एक राजा और एक रानी ने 32 मार्च को अपनी सगाई का ऐलान किया। लोगों ने खुशी से उनका स्वागत किया, लेकिन फिर उन्हें समझ में आया कि 32 मार्च तो होता ही नहीं। यह देखकर लोगों ने समझा कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है। इसके बाद से, 32 मार्च, यानी 1 अप्रैल को, मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। कुछ कहानियों के मुताबिक, अप्रैल फूल डे की शुरुआत 1392 में हो चुकी थी।
इसलिए मनाया जाता है ‘अप्रैल फूल डे’
कहानियों के मुताबिक, कभी कभी इतिहास के नए पन्नों को मोड़ने का इरादा किया जाता है, जैसे यूरोपीय देशों में नए साल का मनाने का तरीका। जब पोप ग्रेगरी 13 ने नया कैलेंडर लागू किया और नया साल 1 जनवरी से मनाने की घोषणा की, तो कुछ लोग अभी भी पुराने तरीके से 1 अप्रैल को न्यू ईयर के रूप में बनाते है। ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर उनका मजाक उड़ाने लगे। इस तरह, अप्रैल फूल डे की शुरुआत हुई, जो 19वीं शताब्दी तक काफी प्रचलित हो चुका था।
भारत में कब हुई थी शुरुआत?
दुनिया भर में अप्रैल फूल डे का जश्न मनाने के अलग-अलग अंदाज़ होते हैं। जैसे कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और अफ्रीकी देशों में, इस दिन की परंपरा 12 बजे तक ही चलती है। लेकिन कनाडा, अमेरिका, रूस और बाकी यूरोपीय देशों में, अप्रैल फूल डे का मजा दिनभर होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में भी इस दिन की प्रथा 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा लाई गई थी। आजकल भारत में भी लोग मस्ती-मजाक करके इस दिन का आनंद लेते हैं।
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