Navratri Garba and Dandiya : नवरात्रि का नाम आते ही हर भक्त के मन में उत्साह और उमंग जैसी भावना भर जाती है। ढोल-नगाड़ों की थाप और गरबा की लय से वातावरण भक्तिमय हो उठता है। यह केवल एक नृत्य नहीं बल्कि आस्था, ऊर्जा और देवी शक्ति के प्रति समर्पण का उत्सव है। गुजरात से शुरू हुआ गरबा आज देश-विदेश में नवरात्रि की पहचान बन चुका है।
गरबा और नवरात्रि
गरबा क्या है?
गरबा गुजरात का पारंपरिक लोकनृत्य है जिसे माँ दुर्गा के सामने दीपक या उनकी प्रतिमा के चारों ओर नृत्य करके खेला जाता है। “गरबा” शब्द संस्कृत के “गर्भ” से निकला है, जिसका अर्थ है स्त्री का गर्भ। यह नृत्य स्त्री शक्ति, उर्वरता और मातृत्व को दर्शाता है। गरबा के दौरान महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में पारंपरिक गीतों पर थिरकती हैं।
गरबा का इतिहास
गरबा की शुरुआत गुजरात से हुई थी। प्राचीन समय में लोग माँ दुर्गा की आराधना दीपक के चारों ओर घूमकर करते थे, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक माना जाता था। धीरे-धीरे यह भक्ति नृत्य लोक उत्सव में बदल गया और नवरात्रि का प्रमुख आकर्षण बन गया।
नवरात्रि में गरबा का महत्व
नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का पर्व है। गरबा खेलना उनके आशीर्वाद पाने का एक माध्यम है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के संचार का प्रतीक माना जाता है। यह नृत्य भक्तों के बीच एकता, खुशी और शक्ति का संदेश भी फैलाता है।
गरबा और डांडिया में अंतर
गरबा में लोग हाथ और पैरों की थाप पर गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं।
डांडिया में लकड़ी की डंडियों का उपयोग होता है और यह जोड़े में खेला जाता है।

गरबा मुख्य रूप से माँ दुर्गा की भक्ति का प्रतीक है, जबकि डांडिया श्रीकृष्ण और रासलीला से जुड़ा है।
गरबा स्त्री शक्ति और मातृत्व को दर्शाता है, जबकि डांडिया अच्छाई और बुराई के युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि में माँ दुर्गा के किन नौ रूपों की पूजा होती है:
- 1. शैलपुत्री
- 2. ब्रह्मचारिणी
- 3. चंद्रघंटा
- 4. कूष्मांडा
- 5. स्कंदमाता
- 6. कात्यायनी
- 7. कालरात्रि
- 8. महागौरी
- 9. सिद्धिदात्री
