बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के चुनाव आयोग के निर्देश को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले को चुनौती दी है।
मनोज झा ने चुनाव आयोग के उस निर्णय को अदालत में खारिज करने की मांग की है, जिसमें आयोग ने बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को तुरंत लागू करने का निर्देश दिया है। राजद का कहना है कि विधानसभा चुनाव के ठीक कुछ महीने पहले इस तरह की प्रक्रिया चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की संभावना है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग के निर्देश को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत क्या रुख अपनाती है और इसका असर बिहार चुनावी तैयारियों पर कितना पड़ता है।
बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ महुआ मोइत्रा भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मामला लगातार गर्माता जा रहा है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अब तृणमूल कांग्रेस की नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। महुआ मोइत्रा ने भारत निर्वाचन आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट (SC) में चुनौती दी गई है। वही महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में यह कहा है कि वह निर्वाचन आयोग के 24 जून के उस आदेश को रद्द करने का अनुरोध करती हैं, जिसके तहत संविधान के विभिन्न प्रावधानों का कथित उल्लंघन करते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) किया जा रहा है।

वही,याचिका के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जनहित में दायर वर्तमान रिट याचिका में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission) के 24 जून को जारी आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। वही आदेश के तहत बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए), 21, 325, 328 व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) , 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम (Electoral Registration Rules) , 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
महुआ ने अपनी याचिका में कहा है कि, अगर इस आदेश को रद्द नहीं किया गया, तो यह देश में बड़े पैमाने पर पात्र मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर सकता है, जिससे लोकतंत्र, स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कमजोर हो सकते हैं। वही महुआ ने शीर्ष अदालत से भारत निर्वाचन आयोग को देश के अन्य राज्यों में मतदाता सूचियों की विशेष गहन पुनरीक्षण के इस तरह के आदेश जारी करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
अधिवक्ता नेहा राठी के माध्यम से दायर की गई इस याचिका में कहा गया, देश में यह पहली बार है कि ईसीआई (ECI) द्वारा इस तरह का अभ्यास किया जा रहा है, जहां उन मतदाताओं से अपनी पात्रता साबित करने के लिए कहा जा रहा है, जिनके नाम पहले से ही मतदाता सूची में हैं या पहले भी कई बार मतदान कर चुके हैं। यह आवश्यकता अनुच्छेद 326 के विपरीत है और संविधान के आरपी अधिनियम 1950 द्वारा परिकल्पित नहीं की गई बाहरी योग्यताएं पेश करती है।
बता दें कि इस मामले में गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) ने भी एक याचिका दायर कर चुका है, जिसमें बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के लिए निर्वाचन आयोग के निर्देश को चुनौती दी गई है। चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) करने के निर्देश जारी किए थे, जिसका उद्देश्य अपात्र नामों को हटाना और यह सुनिश्चित करना था कि केवल पात्र नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हों। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं।